ऋऊ में नीलकंठ महादेव के दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं का एक 24 सदस्यीय समूह, जिसमें महिलाएं व छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे, दिनांक 03 जुलाई 2025 की रात्रि में घने जंगल में रास्ता भटक गया। श्रद्धालुओं ने पशुलोक बैराज का पुराना पैदल मार्ग चुना, जो बरसात में अत्यंत फिसलन भरा और झाड़ियों से घिरा हुआ था। घना अंधेरा, झमाझम बारिश और ठप मोबाइल नेटवर्क, चारों ओर निराशा और डर का वातावरण था ।
जैसे ही सूचना प्राप्त हुई, पौड़ी पुलिस, एसडीआरएफ और वन विभाग की संयुक्त टीम आपदा उपकरणों से लैस होकर तुरंत निकल पड़ी। तकनीकी सहायता के लिए कुछ मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगाया गया, बिना किसी निश्चित रास्ते के, जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना जंगल में रातभर सर्च ऑपरेशन चलाया। अंधेरे, बारिश और दुर्गम पहाड़ी रास्तों को चीरती हुई यह रेस्क्यू टीम आखिरकार रात में ही सभी 24 श्रद्धालुओं तक पहुंची और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। इस अद्वितीय ऑपरेशन में शामिल 4 वर्ष से लेकर 36 वर्ष तक के श्रद्धालुओं की आंखों में राहत के आँ और उन पुलिस जवानों के चेहरे पर कर्तव्य की सच्ची चमक। यह कोई सरेस्क्यू नहीं था बल्कि मानवता, हिम्मत और जिम्मेदारी की सच्ची तस्वीर ।
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