22 December 2024

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बैकफुट पर सरकार वापस लेना पड़ा कैबिनेट का फैसला

बैकफुट पर सरकार वापस लेना पड़ा कैबिनेट का फैसला

उत्तराखंड सरकार ने 12 हजार रुपये में घरों में बार लाइसेंस दिए जाने का फैसला वापस ले लिया है। कैबिनेट ने घरों में 50 लीटर तक शराब रखने की इजाजत का फैसला लिया था मगर इसकी काफी आलोचना हुई और सरकार की नीति पर सवाल उठे जिसके बाद सरकार बैकफुट पर आई और कैबिनेट का फैसला वापस लेने को मजबूर होना पड़ा। यानी घर घर बार खोलने का लाइसेंस अब नहीं मिल पाएगा।

कांग्रेस ने बताया विपक्ष की जीत

इस फैसले को उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की जीत बताया है। दसौनी ने कहा कि जिस दिन से राज्य सरकार ने इस तरह का राज्य विरोधी और जन विरोधी फैसला लिया है उसी दिन से उत्तराखंड कांग्रेस मुखरता से इसका विरोध कर रही है। उत्तराखंड महिला कांग्रेस ने धामी सरकार के खिलाफ इस फैसले को लेकर वृहद प्रदर्शन किया तथा प्रदेश के हर कोने से इस बेतुके फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की जा रही थी ।और तो और राष्ट्रीय पटल पर भी उत्तराखंड की धामी सरकार का यह फैसला चर्चा का विषय बना हुआ था। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार को समझदार सलाहकार रखने की नसीहत देते हुए कहा कि इस तरह के बेसिर पैर के फैसलों से धामी सरकार की चारों ओर व्यापक स्तर पर फजीहत हुई है।दसौनी ने कहा कि इस तरह का फैसला कोई संवेदनहीन व्यक्ति ही सुझा सकता है, दसौनी ने कहा कि पहली नजर में ही यह फैसला बहुत ही अव्यवहारिक प्रतीत हो रहा था। दसौनी ने कटाक्ष करते हुए कहा की घर-घर बार लाइसेंस दिए जाने की बात वह लोग कर रहे हैं जो अपने चुनावी मेनिफेस्टो में शनेः शनेः शराब को हतोत्साहित करने की और उत्तराखंड को ड्राई स्टेट बनाने की वकालत किया करते थे। दसौनी ने कहा कि आज एक बार फिर भाजपा का चाल चरित्र चेहरा सबके सामने बेनकाब हो गया।

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मुंह में राम और बगल में छुरी भाजपा का असली रूप- गरिमा

दसौनी ने कहा की आज प्रदेश का युवा लाचार हताश निराश स्थिति में है ऐसे में राज्य सरकार जिस तरह से बहुत ही आसान दामों में और आसान तरीके से घर-घर बार लाइसेंस बांटने की तैयारी कर रही थी वह राज्य के युवाओं के भविष्य को अंधकारमय करने के लिए काफी था। दसौनी ने कहा कि आज उत्तराखंड राज्य की तुलना पंजाब से की जा रही है क्योंकि घर-घर में युवा नशे की गिरफ्त में है। वऐसे में नशे से युवाओं को बाहर निकालना और उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराने पर राज्य सरकार का ध्यान होना चाहिए था लेकिन शायद धामी सरकार यही चाहती है की युवा हर वक्त नशे की गिरफ्त में रहे और सरकार से सवाल पूछने वाला कोई न हो।दसौनी ने कहा कि भाजपा सरकार युवाओं को शराब का आदि बनाना चाहती है, ताकि बेरोजगार पढ़ना लिखना और रोजगार की बात करना भूल जाएं।दसौनी ने आगे कहा कि इस शराब नीति से महिलाओ के प्रति अपराध बढ़ेंगे और महिलाओं को रोजाना गृह क्लेश का सामना करना पड़ेगा।दसौनी ने कहा की घर पर ही बार खोले जाने को लेकर 12 हजार रुपए फीस के रूप में चुकाने की बात ही अव्यवहारिक और राज्य को गर्त में ले जाने वाली थी। दसौनी ने कहा की आज उत्तराखंड राज्य की विडंबना ही है कि हमारी राजस्व प्राप्ति का जरिया मात्र खनन और शराब बन चुका है। दशौनी ने कहा कि चुनाव के वक्त भाजपा के नेताओं के द्वारा बहुत बड़ी-बड़ी बातें और वादे किए गए थे, कहा गया था कि डबल इंजन की सरकार आएगी तो राज्य विकास के मार्ग पर सरपट दौड़ेगा परंतु आज केंद्र सरकार लगातार राज्य को ठेंगा दिखा रही है और राज्य की आमदनी मात्र शराब और खनन पर निर्भर हो गई है। धामी सरकार के मंत्रिमंडल और उनकी इर्द गिर्द कोई अधिकारी ऐसा दिखाई नहीं पड़ता जो राज्य की आमदनी बढ़ाने हेतु बेहतर सुझाव दे सके ।

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