नैनीताल लोकसभा सीट से 2024 में कांग्रेस से चुनाव कौन लड़ेगा इसकी तस्वीर करीब करीब साफ हो गई है। हालांकि चुनाव में अभी कुछ महीने बचे हैं और टिकट को लेकर बैठकों का दौर भी अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन कांग्रेस के लिए काफी हद तक राहत की ख़बर है।
सीनियर नेता, बाजपुर से विधानसभा और 2022 से नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे यशपाल आर्य ने नैनीताल सीट से चुनाव लड़ने का दरवाजा खोल दिया है और टिकट पर अपनी दावेदारी भी पेश कर दी है। यशपाल आर्य ने साफ किया है कि वो दौड़ में तो नहीं हैं लेकिन आलाकमान, उत्तराखंड के नेता और नैनीताल लोकसभा के कार्यकर्ता कहेंगे तो वो चुनाव जरूर लड़ेंगे। यशपाल आर्य का ये बयान सियासी तौर पर काफी अहम है क्योंकि कांग्रेस को एक मजबूत उम्मीदवार मिल जाएगा।
यशपाल के पास जीत का रिकॉर्ड
यशपाल आर्य अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से विधायक हैं। पहले वो खटीमा से चुनाव लड़ते थे। 2000 में अलग उत्तराखंड बनने के बाद यशपाल आर्य मुक्तेश्वर से चुनाव लड़े, फिर बाजपुर को उन्होंने उन्होंने अपनी कर्म भूमि बनाया। उत्तराखंड अलग राज्य बनने के बाद हुए विधानसभा के पांचों चुनाव यशपाल आर्य जीते हैं। ऐसे में उनका बैकग्राउंड जीत का है और इसी रिकॉर्ड के साथ वो लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
यशपाल आर्य हरीश रावत के बाद उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। उत्तराखंड की पहली निर्वाचित विधानसभा में यशपाल आर्य विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। 2012 से 2017 तक कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं और 2017 से 2022 तक बीजेपी सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे 2022 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यशपाल आर्य ने कांग्रेस में वापसी की। अब वो नेता प्रतिपक्ष हैं और सांसद बनने का रास्ता तलाश रहे हैं।
यशपाल आर्य की दावेदारी नेताओं पर भारी
यशपाल आर्य की खुलकर की गई दावेदारी कांग्रेस के ही उन नेताओं भर भारी पड़ सकती है जो नैनीताल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रहे हैं। खास तौर पर आदेश चौहान, भुवन कापड़ी, गोविंद सिंह कुंजवाल और महेंद्र पाल सरीखे नेताओं के सपनों का झटका है।
इसके अलावा बीजेपी के लिए भी यशपाल आर्य एक चुनौती पेश कर सकते हैं, क्योंकि कांग्रेस ने यशपाल आर्य को उम्मीदवार बनाया तो मुकाबला कड़ा होने के पूरे आसार बन जाऐंगे। अब सवाल यही है कि क्या यशपाल आर्य के मन मुताबिक पार्टी उन्हें टिकट देगी या कांग्रेस के रणनीतिकार कोई और प्लान बनाएंगे? यशपाल आर्य के साथ पॉजिटिव प्वाइंट ये है कि फिलहाल वो खुद को गुटबाजी से दूर रखे हुए हैं। हरीश रावत हों या प्रीतम सिंह दोनों से ही यशपाल आर्य की अच्छी बनती है।
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