6 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी किनारा कर सकते हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पहले ही बैठक में आने से इनकार कर चुकी हैं। अब सवाल ये उठने लगा है कि क्या ये गठबंधन कायम रह पाएगा?
चुनावी नतीजों से कांग्रेस कमजोर
हाल ही में देश के पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही है. कांग्रेस की तेलंगाना में सरकार केवल बनी है. चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस बैकफुट पर है. इंडी गठबंधन के सहयोगी दल हीं लगातार कांग्रेस पर सवाल खड़े कर रहे है. ऐसे में पांच राज्यों के चुनाव परिणाम बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा छह दिसंबर को इंडिया गठबंधन की दिल्ली में बुलाई गई बैठक में बिहार जदयू से नीतीश कुमार के शामिल होने पर संशय है तो वहीं राजद के लालू यादव और तेजेस्वी यादव शिरकत करेंगे . इंडिया गठबंधन की इस अहम बैठक में नीतीश कुमार शामिल नहीं होंगे. हालांकि जदयू खेमे से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह तथा जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा के मौजूद होने की बात कही जा रही है. वहीं राजद खेमे से पार्टी सुप्रीमो लालू यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव शामिल होंगे. पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद इंडिया गठबंधन की होने वाली इस बैठक को कई मायनों में अहम माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने में छह महीने ही बाकी हैं . मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुरू से कहते रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात देने के लिए यह जरूरी है कि सीट-टू-सीट रणनीति तय की जाए. हर सीट पर विपक्ष की ओर से मात्र एक ही उम्मीदवार खड़ा हो ताकि जीत सुनिश्चित हो सके. इस बैठक में सीट शेयरिंग पर भी बातचीत होने की उम्मीद है. बता दें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी दलों की पहली बैठक 23 जून को पटना में हुई थी. दूसरी बैठक बंगलूरू में 17-18 जुलाई को हुई. इसके बाद 31 अगस्त और एक सितम्बर को मुंबई में गठबंधन की तीसरी बैठक हुई. इसी बैठक में गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. रखा गया था. तीन महीने पहले हुई इंडी गठबंधन की बैठक के बाद विभिन्न कमेटियों की बैठक हुई थी जिसमें ललन सिंह, संजय झा, तेजस्वी यादव और संजय यादव शामिल हुए थे. ललन, तेजस्वी समन्वय समिति जबकि संजय झा और संजय यादव अभियान समिति के सदस्य हैं. बता दें तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिली शानदार जीत के बाद से बीजेपी खेमे में जबरजस्त खुशी की लहर है. वहीं इंडी गठबंधन में खबलबी मच गई है. वहीं संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणान का स्पष्ट संदेश है कि इंडिया के घटक दलों के बीच समझदारी बढ़ानी होगी. कांग्रेस को बड़े दल होने के नाते अधिक उदार एवं सामंजनशील रूख अपनाना होगा। इन राज्यों में भी अगर शुरु से ही सभी दल एकजुटता दिखाते, तो निश्चित रुप से अलग नतीजों की संभावना बनती. निश्चित रूप से वह परिणाम नहीं होता जो अभी हुआ है.विजय चौधरी ने कहा कि बात मोदी मैजिक की नहीं है। पीएम मोदी तो तेलंगाना भी गये थे, जहां भाजपा का प्रदर्शन पिछले दिनों हुए हैदराबाद नगर निकाय के चुनाव में उन इलाकों में पहले से खराब रहा. इसलिए अब समय है कि इंडिया के सभी नेता 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में बिना किसी बिलंब के व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए तत्काल राज्यवार सीटों के बँटवारा का कार्य प्रारंभ करें. अगर सब मिलकर लड़े तो अभी भी भाजपा को हराना नामुमकिन नहीं है.
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