उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने एक विज्ञप्ति जारी कर उत्तराखंड सरकार से इन्वेस्टर समिट का ब्यौरा देने की मांग की है। दसौनी ने कहा कि इन्वेस्टर समिट समाप्त हो चुका है,समय आ गया है कि धामी सरकार को प्रदेश की जनता को यह बता देना चाहिए की साढ़े तीन लाख करोड़ का एम ओ यू किस-किस क्षेत्र में हुआ है ??दसौनी ने कहा की उत्तराखंड की जनता, विपक्ष और मीडिया बहुत उत्सुकता के साथ इस बात का इंतजार कर रहे हैं प्रदेश में विकास और रोजगार स्थापित होने जा रहे हैं।
दसौनी ने कहा की इसके लिए जरूरी है की जब इतनी बड़ी धनराशि के एमओयू साइन होने की बात कही जा रही है तो सेक्टर वाइज बताया जाए कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में कितने निवेशकों ने यहां अस्पताल खोलने की इच्छा जताई है? कितनों ने बड़े विद्यालय और कॉलेज की स्थापना में निवेश करने की बात कही है? और कितनों ने हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में दिलचस्पी ली है?
सरकार की फिजूलखर्ची- गरिमा दसौनी
दसौनी ने कहा की क्योंकि साफ दिखाई दे रहा था की इन्वेस्टर समिट में पैसा पानी की तरह बहाया गया और वह पैसा उत्तराखंड की जनता का था इसीलिए उसको यह जानने का अधिकार भी है की इन्वेस्टर समिट 2023 का आयोजन करने में कितनी धनराशि इस्तेमाल हुई? दसौनी ने यह भी कहा की वैसे तो अतिथियों को उत्तराखंड वासियों द्वारा ही तैयार किए गए उत्तराखंडी व्यंजन परोसे जाने चाहिए थे पर यदि मुंबई के ताज ग्रुप को कैटरिंग मिली थी तो उस पर लागत कितनी लगी होगी , अतिथियों के लिए वाहनों का रेला खड़ा करा गया,इसलिए खर्च का लेखा जोखा जानना उत्तराखंड का हक है। दसौनी ने यह भी कहा की धामी सरकार को वह शर्तें भी बतानी चाहिए जिन शर्तों पर उत्तराखंड ने निवेशकों के साथ करार किया है क्योंकि भाजपा की सरकारों का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड इस मामले में अच्छा नहीं है ।और तो और दसौनी के अनुसार मुख्यमंत्री धामी ने इस इन्वेस्टर समिट के लिए कई देशों और शहरों में रोड शो किए, उस पर भी विकट आर्थिक संकट से जूझ रहे उत्तराखंड को काफी खर्चा वहन करना पड़ा होगा।
रोजगार की कितनी बहार?
दसौनी ने कहा की धामी सरकार यह भी बताएं कि निवेशकों के साथ उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं को कितने प्रतिशत रोजगार दिया जाना सुनिश्चित हुआ है यह भी बताना चाहिए। दसौनी ने कहा की 2018 में त्रिवेंद्र सरकार ने उत्तराखंड के साथ कुठाराघात करते हुए जिस तरह से जमींदारी विनाश अधिनियम में संशोधन कर जिस तरह से उत्तराखंड की भूमि बाहरी लोगों के लिए सेल पर लगा दी ये स्थिति देश के किसी और राज्य में नहीं है ,वही धामी सरकार ने जिस तरह से निवेशकों के लिए लैंड यूज में बदलाव किया वह भी अपने आप में आत्मघाती कदम था। और उत्तराखंड अब इससे ज्यादा रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है दसौनी ने कहा कि हमें अंदेशा है की कहीं निवेशकों के हाथों उत्तराखंड को गिरवी ना रख दिया गया हो? दसौनी ने कहा की 2023 में आयोजित हुई इन्वेस्टर समिट का ब्यौरा देते देते धामी सरकार 2018 के इन्वेस्टर समिट का भी श्वेत पत्र जारी कर दे और जनता को बता दे की कितनी लागत से वह इन्वेस्टर समिट हुआ था कितना वापस आया और कहां आया तो सोने पर सुहागा हो जाएगा।
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