चमोली के माणा में हुए हिमस्खलन हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं। इस हादसे में 8 श्रमिकों की मौत हो गई थी। वहीं जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने जांच को लेकर अपने अहम सुझाव दिए हैं। अतुल सती ने कहा है जांच इस दायरे में होनी चाहिए कि
1 . जिस समय बद्रीनाथ में सब कुछ बन्द रहता है, यहां तक कि धार्मिक यात्रा भी सिवा सुरक्षा कर्मियों के कोई नहीं रह सकता.. सारे कार्य बन्द रहते हैं.. उस समय इतने मजदूर वहां क्या कर रहे थे और क्यों । जबकि जाड़े में सरकारी निर्माण कार्य तक जोशीमठ में ही नहीं होते क्योंकि ठंड में कार्य की गुणवत्ता पर असर पड़ता है । साथ ही बद्रीनाथ में गर्मी के समय ही पूरे दिन कार्य नहीं हो पाता तो जाड़े में तो यह और भी असम्भव है । विपरीत मौसम परिस्थिति में क्यों मजदूर वहां थे ।
2 . मौसम के एलर्ट के बावजूद और दो दिन से लगातार बर्फबारी के बावजूद ऐसे क्षेत्र में जहां पूर्व में हिमस्खलन का इतिहास रहा है .. ऊपर से मजदूरों के अनुसार उनके चेताने के बावजूद कि हमको शिफ्ट कर दिया जाए.. क्यों उनको शिफ्ट नहीं किया गया .? 

3 . इस पूरे हादसे के लिए जिम्मेदार निर्माण कम्पनी पर पूरी जांच हो, सख्त कार्यवाही की अनुशंसा हो साथ ही, श्रमिकों की मृत्यु की ज़िम्मेदारी के तहत तत्काल प्राथमिकी दर्ज कराई जाए ।
4 . मृतक श्रमिकों के लिए 50 लाख रुपए के मुआवजे और घायलों हेतु 2 लाख रुपए के मुआवजे की अनुशंसा की जाए जिसकी पूरी भरपाई जिम्मेदार कम्पनी से कारवाई जाए ।
5 . भविष्य में इस तरह की घटना हादसा न हो इसके लिए सख्त दिशा निर्देश हों .. जहां जहां सीमा क्षेत्र में श्रमिक कार्यरत हैं उनके जीवन रहन सहन की परिस्थितियों की समीक्षा हो ।
6 . हमारा मानना है कि जांच के स्तर को ऊंचा किया जाए इतने बड़े हादसे की जांच को स्वयं जिलाधिकारी संचालित करें ।

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