16 December 2025

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कांग्रेस मार रही पैरों पर कुल्हाड़ी?

कांग्रेस मार रही पैरों पर कुल्हाड़ी?

लोकसभा चुनाव का प्रचार उफान पर है। बीजेपी के स्टार प्रचारक ताबड़तोड़ उत्तराखंड में रैलियां कर रहे हैं। बीजेपी पूरी रणनीति के साथ लोगों तक अपनी बात पहुंचा रही है लेकिन कांग्रेस का आलाकमान पूरी तरह दिशा विहीन नज़र आ रहा है। ना तो‌ रणनीति दिख रही है ना चुनाव प्रबंधन नज़र आ रहा है और ना ही जमीन पर कुछ करने की मंशा दिख रही है। ऐसा लग रहा है मानों आलाकमान ने सबकुछ राज्य इकाई पर ही छोड़ दिया हो। उम्मीदवार भी अपने स्तर पर ही काम कर रहे हैं उन्हें भी किसी तरह का सपोर्ट दिल्ली से नहीं मिल रहा। हर सीट पर उम्मीदवार अपने दम पर ही प्रचार में जुटे हैं। अब बड़ा सवाल है कि संगठनात्मक तौर पर कांग्रेस के निर्णय कौन ले रहा रहा है? अगर इसी तरह सबको उनके हाल पर छोड़ दिया जाए तो चुनाव कैसे लड़ा जाएगा और कैसे जीता जाएगा?

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स्टार प्रचारकों की लिस्ट

प्रचार के लिए अब महज 12 दिन का वक्त बचा है और कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की लिस्ट बड़ी मशक्कत के बाद आज जारी की गई है। हैरानी इस बात की है कि इसलिए लिस्ट के तैयार होने की तारीख 27 मार्च है और दिल्ली से देहरादून तक पहुंचने में इसे 9 दिन लग गए। स्टार प्रचारकों की लिस्ट में कुछ नाम ऐसे भी हैं जिनके बार बार कांग्रेस छोड़ने की चर्चा हो रही है। खास कर हरक सिंह रावत और दिनेश अग्रवाल को लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। दोनों ही नेता अब तक किसी भी चुनावी सभा या प्रचार में नहीं दिखाई दिए हैं‌ लेकिन दिल्ली दरबार ने दोनों का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में डाला है। इसके अलावा कुछ विधायकों को लेकर भी बार बार सवाल उठ रहे हैं इसके बाद भी उनका नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में है। कांग्रेस का एक भी केंद्रीय नेता अब तक उत्तराखंड नहीं आया। जबकि बीजेपी की ओर से खुद प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष आ चुके हैं। पीएम की जल्द ही दूसरी सभा भी होने की उम्मीद है। मगर कांग्रेस लीडरशिप का अता पता नहीं है। ऐसे में राज्य ईकाई के सामने धर्म संकट जैसी स्थिति है। इन हालत में उत्तराखंड कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना भी चुनौती है। कांग्रेस के लिए इससे बड़ी चुनौती नहीं हो सकती कि दिल्ली दरबार से किसी तरह की सक्रियता नहीं दिख रही।

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प्रभारी की भूमिका पर सवाल

उत्तराखंड कांग्रेस की प्रभारी कुमारी शैलजा की भूमिका भी इनर चुनावों में सवालों के घेरे में है। 16 मार्च को चुनाव की घोषणा हुई मगर कुमारी शैलजा अब तक रणनीति पर चर्चा करने या बैठक करने उत्तराखंड नहीं आईं। अब तक किसी ऑनलाइन बैठक की जानकारी नहीं मिली। जबकि उत्तराखंड बीजेपी के प्रभारी दुष्यंत गौतम लगातार उत्तराखंड में बने हुए हैं। सवाल है कि कांग्रेस प्रभारी आखिर क्यों उत्तराखंड से मुंह मोड़े हुए हैं। आखिर क्यों प्रभारी चुनाव में दिलचस्पी नहीं ले रहीं? क्या वजह है कि प्रभारी ने उत्तराखंड आना तो दूर एक बैठक करना तक जरूरी नहीं समझा? कांग्रेस प्रभारी की इतनी निष्क्रियता आखिर क्या संकेत दे रही है? उत्तराखंड में इस स्थिति के लिए आखिर जिम्मेदारी किसकी है? ऐसे में कांग्रेस की चुनाव में क्या स्थिति होगी इसे लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। बड़ा सवाल तो यही है कि क्या कांग्रेस खुद ही अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार रही है? कांग्रेस ने उम्मीदवारों के चयन‌ से लेकर प्रचार तक हर जगह खामियां दिखाई हैं। ऐसे में खामियाजा कौन भुगतेगा और इसकी जवाबदेही किसकी होगी इस पर सवाल उठने लाजिमी हैं।