उत्तराखंड बीजेपी के लिए नेताओं की बयानबाजी और अनुशासनहीनता गले की हड्डी बनर्जी गई है। तमाम कोशिशों के बाद भी विवाद थम नहीं रहे। बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से मुलाकात और फटकार के बाद भी नेताओं के तेवर कम नहीं हुए हैं और हर कोई खुद को सही साबित करने की कोशिश कर रहा है।
बंद कमरे में चली बैठक के बाद महेंद्र भट्ट ने सबकुछ सुलझा लेने का दावा किया लेकिन जो नेता तलब किए गए थे उनकी तल्ख़ी बरकरार दिखाई दी।
महेंद्र भट्ट ने लगाई नेताओं की क्लास
पार्टी की अंदरूनी गतिविधियों को लेकर मीडिया में चल रही अनावश्यक चर्चा पर विराम लगाते हुए सभी को अनुशासन के दायरे में रहने की ताकीद की है ।
अनुशासन सबके लिए बराबर- महेंद्र भट्ट
पार्टी मुख्यालय में हुई इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष ने प्रत्येक मामले में दोनों पक्षों को आमने सामने बैठकर स्थिति स्पष्ट कराई। इस दौरान रानीखेत विधायक प्रमोद नैनवाल, दायित्वधारी कैलाश पंत, टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश धन्ने एवं प्रदेश कार्यसमिति सदस्य खेम सिंह चौहान ने अपना अपना पक्ष प्रस्तुत किया । बैठक के उपरांत मीडिया से भी बातचीत में प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कहा कुछ दिनों से समाचार पत्र एवं टीवी चैनलों में पार्टी की अंदरूनी गतिविधियों को लेकर जो चर्चा चल रही थी उसी संबंध में उनके द्वारा सभी पक्षों को बुलाया गया था। जिसमें सभी सभी को अपने विषयों को पार्टी के प्लेटफार्म पर रखने के लिए ताकीद किया गया है । साथ ही स्पष्ट किया कि अनुशासन के दायरे में रहकर ही सभी लोगों को पार्टी में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना है। संगठन में कोई नया व्यक्ति हो या पुराना, किसी भी तरह की सार्वजनिक बयानबाजी से बचते हुए उन्हे पार्टी नियमों के तहत ही अपनी बात को रखना है। उन्होंने हिदायत देते हुए कहा, अनुशासन के यह निर्देश उनके समेत पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं के लिए भी हैं, जिसका हम सबको पालन करना है। भट्ट ने बताया कि सभी पक्षों ने इस दौरान स्वीकार कि मुद्दे छोटे छोटे थे लेकिन गलतफहमी के कारण वे मीडिया में बढ़चढ़ कर सामने आए । सभी ने माना कि इन तमाम मामलों को आपस में बैठकर सुलझाया जा सकता था । लेकिन अब आमने सामने चर्चा के बाद ये सभी विषय समाप्त हो गए हैं । साथ ही विश्वास दिलाया कि भविष्य में इस तरह की कोई भी प्रकरण उनके द्वारा सामने नही आयेगा ।
नेताओं ने नहीं की विवाद दूर होने की पुष्टि
संगठन भले ही विवाद दूर होने का दावा कर रहा होरी लेकिन किशोर उपाध्याय से लेकर दिनेश धनै और खेम सिंह चौहान तक किसी ने भी विवाद होने की हामी नहीं भरी। सभी नेता सवालों के टालते रहे और यहां तक कहा कि विवाद पर तो बुलाया ही नहीं गया था। किशोर उपाध्याय ने कहा चुनाव पर चर्चा के लिए बुलाया था और किसी चिट्ठी को लेकर बातचीत नहीं हुई। दिनेश धनै ने कहा औपचारिक मुलाकात के लिए अए थे, खेम सिंह ने कहा उन्होंने सच्चाई सबके सामने रखी है।
प्रमोद नैनवाल बिना कुछ बोले चले गए और मीडिया से बचते हुए किनारा कर लिया। जबकि कैलाश पंत ने कहा उन्होंने कोई अनुशासनहीनता नहीं की। अब बड़ा सवाल है कि इस तरह के तेवर अब भी नेता दिखा रहे हैं तो पार्टी में सबकुछ सामान्य कैसे होगा?
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