4 July 2025

Pahad Ka Pathar

Hindi News, हिंदी समाचार, Breaking News, Latest Khabar, Samachar

गणेश जोशी के लिए बढ़ने वाली है मुश्किल

गणेश जोशी के लिए बढ़ने वाली है मुश्किल

प्रदेश में धामी सरकार के कुछ मंत्री और स्पीकर जनता के निशाने पर हैं। आय से अधिक संपत्ति के मामले में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की पिछले एक साल से फजीहत हो रही है। हालांकि 11 मार्च को विजिलेंस कोर्ट ने आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अपील की गयी थी कि गणेश जोशी के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज हो। अदालत ने इस आधार पर याचिका खारिज की कि याचिकाकर्ता ने विजिलेंस को शिकायत के साथ शपथ पत्र नहीं दिया। विकेश नेगी का कहना है कि कोर्ट ने स्वीकार किया है कि आय से अधिक संपत्ति क मामला है लेकिन शपथ पत्र न देने के आधार पर याचिका को खारिज करने योग्य माना है। उन्होंने कहा कि वो अपनी लीगल टीम से विचार-विमर्श कर रहे हैं और तय करेंगे कि विजिलेंस में शिकायत नये सिरे से करें या हाई कोर्ट की शरण में जाएं।

See also  सीएम धामी ने परिसंपत्ति विवाद पर की समीक्षा जल्द यूपी के मुख्यमंत्री योगी के साथ बैठक की कही बात

जैसा कि माना जा रहा था कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को राहत मिल जाएगी। इसे अब फौरी राहत ही माना जाएगा। 11 मार्च को विजिलेंस कोर्ट की जज अंजलि बेजवाल ने यह याचिका खारिज की।

विजिलेंस कोर्ट में आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत गणेश जोशी के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित की है। याचिका के समर्थन में विकेश नेगी ने कैबिनेट मंत्री जोशी और उनके परिवार की संपत्तियों का ब्योेरा और दस्तावेज उपलब्ध कराए। साथ ही उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव में गणेश जोशी के हलफनामे को आधार बनाया। इसमें गणेश जोशी ने अपनी संपत्ति 9 करोड़ घोषित की। आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी के मुताबिक 15 वर्ष की अवधि में गणेश जोशी की कुल कमाई 35 लाख होनी चाहिए थी। उनका न तो कोई व्यवसाय है और न ही खेती।

See also  सीएम धामी ने किया किताब का विमोचन

विजिलेंस कोर्ट इस मामले की सुनवाई चल रही थी। विजिलेंस कोर्ट की विशेष जज अंजलि बेंजवाल ने अपने आदेश में कहा है कि स्वतंत्र रूप से किसी राजपत्रित अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस को पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी। इस मामले में सरकार ने अनुमति नहीं दी। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने विजिलेंस को शपथ पत्र नहीं दिया। इसलिए याचिका खारिज करने योग्य है।