उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पास होने के बाद मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। दसौनी ने पूछा है कब नौ मन तेल होगा कब राधा नाचेगी?
महिला आरक्षण बिल में तमाम तरह की शर्ते लगाने के लिए उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने केंद्र में बैठी भाजपा सरकार पर जोरदार हमला बोला है। दसौनी ने कहा की सत्ता प्राप्ति के साढ़े नौ साल बाद तो विपक्ष के दबाव में केंद्र में बैठी मोदी सरकार को अनंतोगत्वा महिला आरक्षण बिल की याद आई और खुशी की बात है कि वह कैबिनेट में पास किया गया परंतु इस बिल में जिस तरह से पेंच फंसाने के लिए जनगणना और परिसीमन को इससे जोड़ दिया गया है वह अपने आप में चुनावी जुमला या चुनावी पुलाव ही नजर आ रहा है ।दसौनी ने कहा की क्या मोदी सरकार देश की आधी आबादी यानी की मातृशक्ति को बिना किसी शर्तों के आरक्षण की सौगात नहीं दे सकती थी ? दसौनी ने कहा कि सरकार की ओर से कहा जा रहा है की महिला आरक्षण बिल तभी क्रियान्वन में आ सकता है जब पहले जनगणना हो और जनगणना के बाद परिसीमन । दसौनी ने कहा कि जनगणना तो बहुत समय पहले हो जानी चाहिए थी,निकट भविष्य में तो यह होता दिखाई नहीं पड़ता । दसौनी ने 2021 में जनगणना न कराने के लिए भी मोदी सरकार को घेरा। दसौनी ने कहा कि जी-20 समिट में भाग लेने वाले तमाम देशों में मात्र भारत की अकेला ऐसा देश था जिसमें जनगणना नहीं हुई थी। दसौनी ने कहा कि यदि जनगणना के बाद ही इसको लागू करना था तो अभी से इस पर इतना हो हल्ला मचाने की क्या जरूरत थी ?दसौनी ने कहा की दरअसल भाजपा के नेताओं को छपास का रोग है और वह लोकसभा चुनाव से पहले अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह की नाटक नौटंकी की जा रही है।
मोदी सरकार का नया जुमला- गरिमा
दसौनी ने कहा कि मोदी सरकार ने पहले इस देश के युवाओं को सालाना 2 करोड़ नौकरियों के नाम पर ठगा फिर देश के किसानों को एमएसपी का झुनझुना दिया और अब देश की करोड़ों करोड़ महिलाएं और लड़कियां जो राजनीति में अपना स्थान बनाना चाहती हैं और देश के नीति निर्धारण में अपना सहयोग देना चाहती हैं उनको जोरदार धक्का दिया है । दसौनी ने कहा कि कुछ बातें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर की जानी चाहिए, ऐसा लगता है कि भाजपा की ना तो नीति और ना नियत महिला आरक्षण को लेकर साफ है। दसौनी ने कहा कि यह तो कांग्रेस के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी की दूरदर्शिता का परिणाम है कि आज देश में 30 लाख पंचायत प्रतिनिधियों में 15 लाख ग्रामीण अंचल की महिलाएं प्रतिनिधित्व कर रही हैं। दसौनी ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि आप सार्वजनिक सभा में महिला सशक्तिकरण की और सार्वजनिक जीवन में मातृशक्ति की सहभागिता की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं उस पर अमल करने का यह सही समय है और तो और अपने पत्र के साथ राहुल गांधी जी ने 32 लाख लोगों के द्वारा महिला आरक्षण बिल के पक्ष में किए गए हस्ताक्षर भी संलग्न किए थे परंतु ना तो 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी सरकार ने इस गंभीर विषय को संज्ञान में लिया और ना ही वह अब इस महिला आरक्षण बिल् को बिना शर्तों के लागू किए जाने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं । दसौनी ने कहा कि बिल में इतने सारे किंतु परंतु जोड़ दिए गए हैं जिसकी वजह से विशेषज्ञों के अनुसार इस बिल को अमली जामा पहनाने में 5 से 7 साल लग जाएंगे।
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