राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में हर चुनौती के साथ एक अवसर भी होता है। उस अवसर पर सही ढंग तथा सही दिशा से कार्य कर लिया जाए तो आपदाओं से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इन्हीं अवसरों के माध्यम से हम अपनी तैयारियों और रणनीतियों को और अधिक सुदृढ़ बना सकते हैं।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शुक्रवार को आईटी पार्क, देहरादून स्थित उत्तराखण्ड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र का भ्रमण किया और सभी जिलाधिकारियों से मानसून के दृष्टिगत तैयारियों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने वर्षा की वर्तमान स्थिति, नदियों के जलस्तर, मार्गों की स्थिति और आगामी दिनों के मौसम पूर्वानुमान के साथ ही एसईओसी की कार्यप्रणाली का अवलोकन किया। उन्होंने जिलाधिकारियों द्वारा किए जा रहे सतर्क प्रयासों, अन्तर्विभागीय समन्वय और विभागीय एकीकरण की सराहना की। राज्यपाल ने उत्तराखण्ड के आपदा प्रबंधन विभाग की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि विभाग द्वारा आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण के क्षेत्र में पेशेवर ढंग से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने ईआरएसएस 112 में रिस्पांस टाइम में लगातार सुधार के लिए भी आपदा प्रबंधन विभाग तथा पुलिस विभाग की सराहना की। राज्यपाल ने विगत वर्षों के आपदा अनुभवों से सीख लेते हुए तैयारियों को उसी अनुरूप सुधार करने और इनका दस्तावेजीकरण करने के भी निर्देश दिए। राज्यपाल ने कहा कि आपदा प्रबंधन में तीन मुख्य पहलुओं, डेटा आधारित निर्णय प्रणाली, विभागों के बीच समन्वय और सामुदायिक सहभागिता को केंद्र में रखकर कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन तैयारियों को केवल तात्कालिक आवश्यकता तक सीमित न रखते हुए इसे दीर्घकालिक रणनीति के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के स्वरूप में परिवर्तन और आपदाओं की तीव्रता बढ़ रही है, ऐसे में राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों पर आधारित आपदा प्रबंधन की दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे।
नियमित अंतराल पर कराएं मॉक ड्रिल
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड विभिन्न आपदाओं को लेकर संवेदनशील है, इसलिए यह जरूरी है कि राज्य के प्रत्येक नागरिक को इसकी जानकारी होनी चाहिए कि आपदओं से बचाव के लिए क्या करना है। इसके लिए समय-समय पर मॉक अभ्यास कराए जाने जरूरी हैं। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि आने वाले महीनों में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, मॉल, शापिंग काम्पलेक्स, में विभिन्न आपदाओं को लेकर मॉक ड्रिल की जानी प्रस्तावित हैं।
गेम चेंजर साबित हो सकती है आपदा सखी योजना
राज्यपाल ने विशेष तौर पर महिलाओं को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रशिक्षित करने तथा उनकी कैपेसिटी बिल्डिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आपदा सखी योजना इस दिशा उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में गेम चेंजर साबित हो सकती है। साथ ही उन्होंने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में उत्तराखण्ड में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों पर रिसर्च करवाने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने यूएसडीएमए को भी सभी कार्यों का दस्तावेजीकरण करने को कहा।
सोशल मीडिया में भ्रामक खबरों पर अंकुश जरूरी
राज्यपाल ने कहा कि आपदा के समय अफवाहें और असत्यापित सूचनाएं आमजन में भय और भ्रम उत्पन्न करती हैं। इसके समाधान के लिए एक केंद्रीकृत सूचना प्रणाली विकसित की जाए, जिससे लोगों तक त्वरित, प्रमाणिक और स्पष्ट जानकारी पहुंचाई जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों का तुरंत संज्ञान लेते हुए भ्रामक खबरें प्रसारित करने वालों के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
यूएसडीएमए के प्रयासों की सराहना की
राज्यपाल ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में यूएसडीएमए द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने युवा आपदा मित्र योजना, आपदा सखी योजना के जरिये समुदायों की सहभागिता को बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को सराहनीय बताया। उन्होंने इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम यानी आईआरएस को तहसील स्तर तक अधिसूचित करने के लिए यूएसडीएमए को बधाई दी।
आपदाओं का सामना करने के लिए विभागीय समन्वय जरूरी
राज्यपाल ने कहा कि आपदाओं का सामना करने के लिए विभिन्न विभागों के मध्य आपसी समन्वय बहुत जरूरी है। बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए यह आवश्यक है कि सभी विभाग आपसी तालमेल तथा सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना के साथ कार्य करें।
संसाधनों का योजनाबद्ध तरीके से उपयोग किया जाए
राज्यपाल ने कहा कि आपदा प्रबंधन में संसाधनों का कुशल उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इनका समुचित, सुनियोजित और त्वरित उपयोग आपदा के प्रभाव को न्यूनतम करने में सहायक होता है। जितना यह मायने रखता है कि हमारे पास संसाधन कितने हैं, उतना ही यह भी आवश्यक है कि हम उन संसाधनों को कुशलतापूर्वक तथा विवेकपूर्ण उपयोग कर पाते हैं या नहीं।
आपदा प्रबंधन में तकनीक का प्रयोग जरूरी
राज्यपाल ने कहा कि आज का युग तकनीक का है। तकनीकी संसाधनों का प्रयोग आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। रडार, उपग्रह, सेंसर, ड्रोन, मैपिंग, मोबाइल ऐप्स, ट्रैकिंग, चैट जीपीटी, रियल टाइम डाटा विश्लेषण, सोशल मीडिया आदि का उपयोग करके आपदा की स्थिति में त्वरित, सटीक और समन्वित प्रतिक्रिया की जा सकती है।
भूदेव एप को सराहा, कहा-डाउनलोड कराने के लिए अभियान चलाएं
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने आईआईटी रुड़की तथा यूएसडीएमए द्वारा विकसित किए गए भूदेव एप के बारे में जानकारी दी। राज्यपाल ने ऐप की सराहना करते कहा कि अधिक से अधिक लोग इस ऐप को डाउनलोड करें, इसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाए।
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