लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हरीश रावत ने भी कांग्रेस की उलझन बढ़ा दी है। प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य और गणेश गोदियाल के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी चुनाव ना लड़ने की इच्छा जताई है।हरीश रावत ने साफ किया है कि वो चुनावी राजनीति से बाहर निकलना चाहते हैं यानी चुनाव लड़ने वाली राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहते।
हरीश रावत का ये बयान उत्तराखंड कांग्रेस के साथ ही दिल्ली हाईकमान की भी परेशानी बढ़ाने वाला है। कांग्रेस के पास पहले से ही मजबूत कैंडिडेट नहीं हैं ऐसे में हरीश रावत का इनकार करना भी मुसीबत का सबब है। हरीश रावत हरिद्वार से टिकट के दावेदार हैं पैनल में भी उनका नाम है मगर सीईसी की बैठक से पहले उनका चुनाव ना लड़ने की इच्छा जताना कई सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि इसे भी हरीश रावत की सोची समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
हरीश रावत के मन में क्या है?
हरीश रावत ने पहले हरिद्वार में सक्रियता बढ़ाई फिर अपने बेटे वीरेंद्र रावत का नाम आगे किया। इसके बाद हरिद्वार में जगह जगह वीरेंद्र रावत के पोस्टर और बैनर दिखने लगे। हरिद्वार से ही करन माहरा भी दावेदारी कर रहे हैं ऐसे में टिकट किसे मिलेगा इसपर सवाल बने हुए हैं। लिहाजा हरीश रावत का चुनाव मैदान से बाहर निकलने या पीछे हटने की बात कहना कई संकेत दे रहा है।
सवाल ये है कि क्या हरीश रावत को एक और हार का डर सता रहा है? सवाल ये भी है कि क्या हरीश रावत दबाव की राजनीति कर रहे हैं? सवाल ये भी है कि क्या बेटे को राजनीति में सेट करने के लिए वो खुद पीछे हटने की बात कह रहे हैं?
हरीश रावत के बयान के मायने
पूर्व सीएम ने कहा कि वीरेंद्र रावत पहले से ही हरिद्वार में काम कर रहे हैं। उन्होंने खानपुर सीट पर काफी काम किया और बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ी मगर उसका फायदा उमेश कुमार को मिल गया। हरीश रावत ने ये भी कहा कि चुनाव लड़ने की राजनीति से बाहर निकलना चाहता हूं और यही अवसर है चुनाव लड़ने की राजनीति से बाहर आने का अगर चुनाव लड़ा तो अगले 10 साल तक चुनाव लड़ने की राजनीति में फंसा रहूंगा। हरीश रावत ने हरिद्वार से अपने बेटे वीरेंद्र रावत के लिए टिकट की पैरवी की है. बेटा कांग्रेस में प्रदेश उपाध्यक्ष है.उन्होंने कहा कि पार्टी यदि मेरे संबंधों का, मेरे नाम का, मेरे काम का उपयोग कर पाएगी तो मेरा बेटा उसे बेहतर तरीके से कर पाएगा। हालांकि रावत ने ये भी साफ कहा कि फैसला पार्टी को करना है और जो भी पार्टी का निर्णय होगा वो उसे स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। हरीश रावत ने कहा है कि पार्टी अगर उन्हें और उनके बेटे के अलावा किसी और को भी टिकट देती है तो वो इसके लिए भी तैयार हैं। लेकिन हरीश रावत के मन में क्या चल रहा है और बयान के लिए यही वक्त क्यों चुना इसे लेकर सियासी जानकार कई मायने निकाल रहे हैं। क्योंकि हरीश रावत खांटी राजनेता हैं और उनके हर बयान के पीछे कोई ना कोई ऐसी रणनीति होती है जिसे कोई नहीं समझ पाता।
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