प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आदि कैलाश यात्रा के बाद उत्तराखंड को कितना फायदा मिलेगा? धारचूला का विकास कितना तेज होगा? क्या पहाड़ में पलायन रुक जाएगा? ऐसे ही कई सवालों की चर्चा में अब हरीश रावत ने भी मोर्चा संभाल लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है #प्रधानमंत्री के ओम पर्वत, पार्वती कुंड में ध्यानस्थ मुद्रा और जागेश्वर यात्रा को लेकर लाभ-हानि की चर्चा में मैं न चाहते हुये भी कूद रहा हूं। इसमें कोई शक नहीं कि कुमाऊं के सीमांत क्षेत्र की यात्रा से उस अंचल के पर्यटक स्थल पर्यटकों के बीच में चर्चा में आएंगे और पर्यटन में निश्चय ही हमको उसका दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है। मैं “सकता है” शब्द का इसलिये उपयोग कर रहा हूं, यह लाभ तभी मिल सकता है बशर्ते हल्द्वानी से पहाड़ों की ओर निकलते हुये पर्यटकों को हाफना न पड़े या हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून से ऊपर की तरफ को जाने वाले पर्यटकों को तौबा-तौबा न कहना पड़े। मगर मैं मुख्यमंत्री ज की इस बात से सहमत नहीं हूं कि प्रधानमंत्री जी की यात्रा से इन स्थानों को पहचान मिली है। आदि कैलाश, ओम पर्वत, पार्वती कुंड, पहले से ही प्रकृति प्रेमियों और अध्यात्म प्रेमियों के मध्य प्रसिद्ध हैं। वर्षों से श्रीमती सोनिया गांधी जी के आवास में “ओम पर्वत” का चित्र उनके पारिवारिक महापुरुषों के चित्रों के साथ शोभायमान है और कई लब्ध प्रतिष्ठित लोगों के घरों में मैंने “ओम पर्वत” का छायाचित्र देखा है। जागेश्वर को ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष मान्यता प्राप्त है, अपने प्राकृतिक सुंदर वातावरण देवदार के सुंदर वन, मंदिर स्थापत्य कला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मायावती आश्रम जहां स्वामी विवेकानंद जी ने निवास किया उसको अपनी प्रसिद्धि के लिए किसी और नाम की आवश्यकता नहीं है। हां, उस स्थल में जाकर हम स्वामी विवेकानंद जी के कुछ महानतम् गुणों से जरूर साक्षात्कार कर अपने को धन्य कर सकते हैं।
सुविधा बढ़े तब कामयाबी कहें- हरीश रावत
सोर घाटी का हृदय स्थल पिथौरागढ़ अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए श्रीनगर घाटी के समकक्ष पर्यटकों के मन में अपना स्थान रखता है। प्रधानमंत्री जी के आगमन से हमको लाभ मिलता, हम उनको धन्यवाद देते! बशर्तें कैलाश मानसरोवर यात्रा का यह ऐतिहासिक मार्ग जो भाजपा के शासनकाल में बंद हुआ यदि पुनः प्रारंभ हो जाता, इससे चीन के साथ व्यापार का भी मार्ग खुलता। रहा सवाल इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का, यह सड़क निर्माण के कार्य चाहे दारमा वैली में हो, चाहे चौदास-व्यास वैली में हो, यह जोहार मिलम वैली में हो, बहुत पहले से ही स्वीकृत होकर वर्ष 2014 से काफी पहले निर्माणाधीन थे और काम बहुत आगे तक बढ़ गया था। चीन के साथ हमारी सामरिक आवश्यकताओं को देखते हुये निर्माण कार्य में तेजी अवश्य आई है। मगर हमारी आवश्यकता का ध्यान रखा गया या हमको कुछ सौगात दी गई, मैं यह तब मानता जब नैनी-सैनी अर्थात पिथौरागढ़ के हवाई अड्डे को कामर्शियल परिचालन के लायक ताकि वहां बड़े जहाज उतर सकें, हवाई पट्टी को विकसित करने और हवाई अड्डे के रूप में नैनी-सैनी को विकसित करने की परियोजना स्वीकृत होती !! पिथौरागढ़ को सारी सौगातें पहले से प्राप्त हैं जिसके लिए पिथौरागढ़ सुपात्र भी है। हां, एक सौगात प्रधानमंत्री जी दे सकते थे इंदिरा जी द्वारा स्वीकृत पंडा फॉर्म जहां डीआरडीओ का जो रिसर्च सेंटर है उसको एक विकसित अनुसंधान संस्थान के रूप में यदि स्वीकृति मिल जाती। जागेश्वर जहां महायोगी शिव विराजमान हैं, कांग्रेस की सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय योग मेला प्रारंभ किया था जिसको भाजपा की सरकार ने बंद कर दिया।
शब्दों की माला जप रही बीजेपी- रावत
प्रधानमंत्री जी के भगवान जागनाथ जी के दर्शन के बाद यदि अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव फिर से जागेश्वर में प्रारंभ होता है तो मैं इसको उपलब्धि मानूंगा और फिर एक रेलवे लाईन जिसका सारा कुमाऊं बकौल भाजपा का मानस खंड लंबे समय से इंतजार कर रहा है। सर्वेक्षण आदि के काम तो वर्षों-वर्षों पहले पूरे हो चुके हैं, वर्तमान सत्ता के जन्म से पहले पूरे हो चुके हैं। यदि रेल निर्माण कार्य की स्वीकृति सरयू के किनारे-किनारे जौलजीवी तक भी मिल जाए, यदि धारचूला तक मिल जाए तो और बेहतर होगा, तो मैं इसको माननीय प्रधानमंत्री जी के दौरे की मानसखंड के लोगों के लिए बड़ी उपलब्धि मानूंगा। मैं “मानस खंड” शब्द का उच्चारण इसलिए कर रहा हूं कि भाजपा को शायद “कुमाऊं” शब्द पसंद नहीं है। मेरा मानना है कुमाऊं, गढ़वाल और हरिद्वार, ये हमारी अंतर्राष्ट्रीय पहचानें हैं। हमारे लोगों ने अपनी बुद्धि, पराक्रम, कौशल, शौर्य और वीरता से इस मुकाम/ऊंचाई को हासिल किया है। अब भाजपा “कुमाऊं” का नया नामकरण करना चाहती है “मानस खंड”। मंदिरों की माला बने, न बने लेकिन भाजपा शब्दों की माला जरूर जो है कुमाऊं के गले में डालने का प्रयास कर रही है। मुझे यह प्रयास कहीं से भी प्रभावित नहीं कर रहा है। 4200 करोड़ रुपये के पैकेज में ऐसी-ऐसी स्वीकृतियां भी सम्मिलित हैं या ऐसे-ऐसे लोकार्पण भी सम्मिलित हैं जो अभी आधे-अधूरे हैं या बहुत पहले की स्वीकृतियां हैं 2015-16 की। कैसी विडंबना है कि सोमेश्वर का 100 बैड का महिला चिकित्सालय उसके साथ के स्वीकृत 100 बैड के चिकित्सालय त्यूनी और शिमली के भवन बन चुके हैं और सोमेश्वर के 100 बैड का हॉस्पिटल अभी पैकेज के बंद डिब्बे में शोभायमान है। खैर में और अधिक पोस्टमार्टम नहीं करूंगा अन्यथा मेरी बातों से यह आभास जरूर जाएगा कि मुझे प्रधानमंत्री जी का आना अच्छा नहीं लगा। मैं कह रहा हूं चुनाव के बहाने आये, लेकिन आये। प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री हैं और अपनी राजनीतिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए अपने को नये सिरे से शिव भक्त सिद्ध करने के लिये माननीय प्रधानमंत्री जी देश के शिव भक्तों को एक संदेश देने के लिए ही सही, आये तो सही। हां, देकर कुछ भी नहीं गये यह एक कटु सत्य है और भाजपा के दोस्तों को इस कटु सत्य को पचाना ही पड़ेगा।
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