उत्तराखंड कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह ने अंकिता भंडारी हत्याकांड की दूसरी बरसी पर अंकिता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देवभूमि के लिए बड़ी ही शर्मिंदगी की बात है कि इस जघन्य हत्याकांड को दो वर्ष बीत गये हैं परन्तु पीडित परिवार को न्याय नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि राज्य में हुए सबसे जघन्य अंकिता भंडारी हत्याकांड मे दो वर्ष बाद भी प्रदेश की आम जनता के मन में सवाल हैं कि सरकार और पुलिस के संरक्षण में भाजपा नेता के रिसोर्ट पर आनन-फानन में बुलडोजर चलवाकर सारे साक्ष्य क्यों मिटा दिए गए? पुलिस के ट्विटर हैडल से स्वीकारोक्ति को क्यों डिलीट कर दिया गया? तत्कालीन पुलिस महानिदेशक को यह भी बताना चाहिए कि उनके और अंकिता भण्डारी के पिता के बीच दूरभाष पर हुई बातचीत को सोशल मीडिया में जानबूझ कर क्यों वायरल किया गया? उन्होंने कहा कि पुलिस महानिदेशक जैसे पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा जानबूझ कर बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल कर निजता के अधिकार का भी उलंघन किया गया।
डॉ0 प्रतिमा सिंह ने कहा कि पुलिस महानिदेशक को भाजपा के प्रवक्ता के रूप में नहीं जनता के सेवक और संरक्षक के रूप में जवाब देने चाहिए थे परन्तु पुलिस ने दोषियों की हर संभव मदद की जिसका नतीजा पिछले दो वर्ष में अंकिता जैसी अनेक बेटियों को अपनी आबरू और जान गंवानी पड़ी। राज्य की पुलिस ने भाजपा सरकार के दबाव में जितनी तत्परता आशुतोष नेगी को गिरफ्तार करने में दिखाई उतनी तत्परता दोषियों को पकड़ने में दिखाई होती तो पीडिता के माता पिता को न्याय के लिए धूप-सर्दी में दर-दर भटकना नहीं पडता।
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ0 प्रतिमा सिंह ने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीवीआईपी का नाम उजागर होने सहित इस हत्याकांड में एक नहीं सैकड़ों सवाल हैं जिनके पुलिस और सरकार की तरफ से जवाब आज भी अनुत्तरित हैं और केन्द्र की मोदी सरकार और राज्य की धामी सरकार मौन है।
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