तीन वामपंथी पार्टियों – भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) का संयुक्त प्रतिनिधिमण्डल, उत्तराखंड निर्वाचन आयोग के कार्यालय गया, राज्य निर्वाचन आयुक्त की अनुपस्थिति में निम्नलिखित ज्ञापन, उनके निजी सचिव को सौंपा गया।
प्रति,
श्रीमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त,
राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड,
देहरादून.
महोदय,
राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड के सचिव श्री राहुल कुमार गोयल का 06 जुलाई 2025 का एक पत्र जो कि जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी (पं), चमोली को संबोधित है, वह सार्वजनिक हुआ है.
दो पृष्ठों के उक्त पत्र का सार यह प्रतीत होता है कि नगर निकाय चुनाव में मतदाता रह चुका व्यक्ति भी पंचायत चुनाव में प्रत्याशी हो सकता है. पत्र के अनुसार किसी व्यक्ति का नामांकन पत्र सिर्फ इस आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए कि उसका नाम नगर निकाय की मतदाता सूची में है.
महोदय, 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के जरिये त्रिस्तरीय पंचायतों और नगर निकायों के चुनाव, शक्तियों आदि की व्यवस्था हुई. क्या ऐसा संभव नहीं था कि पंचायत और नगर निकायों की व्यवस्था एक ही संविधान संशोधन के जरिये कर दी जाती ? यदि संविधान में इन दो निकायों के लिए दो अलग-अलग संशोधन किए गए तो इसलिए कि दोनों की प्रकृति, कार्यक्षेत्र और कार्यभार भिन्न हैं. तब प्रश्न है कि उनके मतदाता एक ही कैसे हो सकते हैं ? या व्यक्तियों के एक हिस्से को ऐसी अनुमति कैसे हो सकती है कि वे मतदाता के रूप में हमेशा नगरों और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच चलायमान रहें और ग्रामीण क्षेत्र या नगर क्षेत्र, जब, जहां चुनाव हो रहा हो, वहां मतदाता के रूप में उपस्थित हो जाएं ! यह तो इस सारी प्रणाली का मखौल उड़ाने जैसा है.
महोदय, आयोग के सचिव महोदय ने अपने पत्र में उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम, 2016 की धारा 9(13),10(ख)(1),54(3) और 91(3) का हवाला देते हुए नगर निकाय के मतदाता रहे व्यक्ति के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हिस्सा लेने को जायज़ ठहराया है।
महोदय, लेकिन ग्राम पंचायतों के संदर्भ में उत्तराखंड पंचायत राज संशोधन अधिनियम, 2019 की धारा 9 (6) व 9(7) तथा क्षेत्र पंचायत के संदर्भ में उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम, 2016 की धारा 54(7) व 54(8) और जिला पंचायत के संदर्भ में उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम, 2016 की धारा 91(7) व 91(8), जिनके तहत, इस तरह से नगर निकाय का मतदाता, त्रिस्त्रीय पंचायतों का मतदाता नहीं हो सकता.
इसके अलावा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation Of People Act) 1950 की धारा 17 व 18 में भी ऐसे प्रावधान हैं.
इसलिए जिन व्यक्तियों का नाम नगर निकाय की मतदाता सूची में हैं, जो नगर निकायों में प्रत्याशी रहे हैं, उनके त्रिस्त्रीय पंचायतों में प्रत्याशी होने पर रोक लगाई जाये और उनके नामांकन पत्र निरस्त किए जाएं.
साथ ही यह भविष्य के लिए ऐसी व्यवस्था स्पष्ट तौर पर की जाये जिससे त्रिस्त्रीय पंचायतों एवं नगर निकायों में से व्यक्ति किसी एक में ही, मतदाता एवं प्रत्याशी हो सके.
सधन्यवाद,
समर भंडारी
राष्ट्रीय परिषद सदस्य
भाकपा
राजेंद्र पुरोहित
राज्य सचिव
माकपा
इन्द्रेश मैखुरी
राज्य सचिव
भाकपा (माले)
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