साल 2016 में उत्तराखंड में तत्कालीन काँग्रेस सरकार के हुए स्टिंग प्रकरण मामले में आज देहरादून सीबीआई कोर्ट में विधायक मदन बिष्ट और पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से अधिवक्ताओं ने जवाब दाखिल किए कोर्ट में बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने दलील रखते हुए बताया कि इस मुकदमे को पूर्व में ही वापस लेने के लिए शासनादेश हो चुका था,तो अब क्यों दोबारा से कारवाई हो रही हैं बचाव पक्ष के अधिवक्ता मनमोहन कंडवाल ने बताया कि सीबीआई ने किसी को भी वाइस सैंपल लेने के लिए कभी भी संपर्क नही किया तो अचानक इस तरह क्यों नोटिस भेज रहे हैं। जबकि मुकदमा 2016 का है ये मुकदमा चलना चाहिए या नही इसकी रिट अभी उच्च न्यायालय में पेंडिंग है। जिस पर फैसला इसी महीने के 27 जुलाई को आना है, बचाव पक्ष के अधिवक्ता कंडवाल ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा जो फैसला दिया जाएगा उसी के आधार पर हम वॉइस सैम्पल की कार्यवाही में आगे सहयोग करेंगे…आपको बतादें की मामले में देहरादून सीबीआई कोर्ट ने सभी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत,कांग्रेसी नेता हरक सिंह रावत,मदन बिष्ट और उमेश कुमार को वॉइस सैंपल देने के आदेश जारी किए थे …जिसमे शनिवार को सीबीआई और बचाव पक्ष की तरफ से कोर्ट के समक्ष अपना अपना पक्ष रखा गया है दोनों तरफ से रखे गए पक्षों को सुनने के बाद सीबीआई कोर्ट ने मामलें में 17 जुलाई को आदेश देने की बात कही है
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