विधानसभा सत्र से ठीक पहले पूर्व सीएम हरीश रावत ने उत्तराखंड सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष से स्वत: संज्ञान लेने की अपील की है। हरीश रावत ने कहा है विधानसभा सत्र! जनता के दिमाग में भी ढेरों प्रश्न हैं, विधायकों के सामने भी कई सवाल हैं जिनको वो उठाना चाहेंगे, प्रश्नकाल एक महत्वपूर्ण काल होता है, चाहे विधानसभा हो या लोकसभा हो जिसमें जनता से जुड़े हुए महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं, प्रश्नकाल के बिना संसदीय परंपरा अधूरी है। मुझे आश्चर्य है कि उत्तराखंड की विधानसभा के इस सत्र को जिसको विशेष सत्र कहा जा रहा है जो अपने आप में विशेष सत्र है, क्योंकि अभी पिछले सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ है, तो इसलिए विशेष सत्र बुलाने की जो प्रक्रिया है वो नहीं अपनाई गई है।
यह पुराने ही सत्र का एक प्रकार से एक्सटेंशन है और इसमें प्रश्नकाल न रखना उत्तराखंड के लोकतांत्रिक परंपरा के साथ एक क्रूर मजाक है, अपनी मेजोरिटी का सरकार दुरुपयोग कर रही है। मैं समझता हूं कि माननीय स्पीकर को इस बात का स्वयं संज्ञान लेना चाहिए था। अब मुझे मालूम नहीं कि आज कार्यमंत्रणा समिति ने क्या तय किया है? लेकिन जो जानकारी मुझ तक छनकर के आई है उससे एक लोकतंत्र के विद्यार्थी के तौर पर मैं चिंतित हूं।

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