देहरादून में होने वाली कांग्रेस की अहम बैठक से पहले हरीश रावत ने एक स्पेशल डिमांड रख दी है। हरीश रावत की ये मांग कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति के लिहाज से काफी अहम है। कांग्रेस जब भविष्य की सियासी बिसात बिछाने में जुटी है तब हरीश रावत की ओर से की गई मांग के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं।
हरीश रावत की क्या चाहत?
बैठक से चंद घंटे पहले हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिये अपना मुद्दा उठाया है। हरीश रावत ने पोस्ट किया है, आज प्रदेश कांग्रेस की एक बड़ी बैठक है। Rahul Gandhi जी की लोकसभा सदस्यता तत्काल बहाल होने के साथ-साथ एक राज्यव्यापी यात्रा जो अंकिता भण्डारी हत्याकांड व अग्निवीर योजना से जुड़े सवालों पर आयोजित होगी बल्कि चर्चा भी होगी, प्रस्ताव भी होंगे। एक प्रस्ताव मैं आपदा को लेकर की भी रखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि चाहे कांग्रेस हरिद्वार में करे, रुड़की में करे, देहरादून में करे, एक बड़ा प्रदर्शन करे, आपदा पीड़ितों के दर्द को आगे रखे। 2018-19 के आपदा पीड़ितों धारचूला-मुनस्यारी क्षेत्र के अभी उनकी भी मदद नहीं हुई है, जोशीमठ में सरकारी तंत्र की विफलता आज जगजाहिर हो चुकी है। आपदा पीड़ितों को सहायता देने के मामले में भाजपा सरकार चाहे किसी नाम के साथ हो ट्रैक रिकॉर्ड बड़ा बुरा रहा है। हरिद्वार में बाढ़ ने किसान के गन्ने, धान, उड़द, चारा, सबको खत्म कर दिया है। मगर सरकार अभी तक अहेतुक सहायता भी नहीं दे सकी है। आपदा के मापदंड पुराने हैं, 2014 में हमने बदले थे। अब महंगाई कहां पहुंच गई है, आपदा के मापदंडों को महंगाई के आलोक में उच्चीकृत करने की आवश्यकता है तो इस प्रकरण पर मैं कांग्रेस के सम्मुख बात रखूंगा। मुझे उम्मीद है प्रदेश कांग्रेस #किसानों को लेकर एक हुंकार अगले 5-7 दिन के अंदर जरूर भरेगी।
हरदा की मांग के मायने क्या?
हरीश रावत हरिद्वार में आई बाढ़ का मुद्दा लगातार उठा रहे हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा भी लगातार कर रहे हैं। हरिद्वार के अलग अलग गांवों में जाकर लोगों से मिल रहे हैं और उनकी तकलीफ समझने की कोशिश कर रहे हैं। असल में हरीश रावत 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं। उनकी कोशिश ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने की हैं इसीलिए हरिद्वार पर उनका पूरा फोकस है। हरीश रावत 2009 में हरिद्वार से जीत चुके हैं और अब 2024 में भी वो हरिद्वार का आशीर्वाद चाहते हैं इसीलिए हरिद्वार के मौजूदा हालात पर कांग्रेस को भी मुखरता से आगे आने को कह रहे हैं। हरिद्वार के अलावा हरीश रावत ने धारचूला की आपदा का मुद्दा भी उठाया है। 2014 में हरीश रावत धारचूला से उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे इसीलिए वो धारचूला को लेकर भी अपना कर्तव्य और जिम्मेदारी कभी नहीं भूलते। अब देखना होगा कि हरदा की मांग पर कांग्रेस क्या फैसला लेती है। हरीश रावत कल भी पूरे दिन हरिद्वार में थे।
बाढ़ से बेहाल हरिद्वार
हरीश रावत ने बाढ़ के हालात पर लिखा कल मेरे साथ माननीय ममता राकेश जी, माननीय विरेंद्र जाती जी, जिला पंचायत के सदस्य मोहम्मद अयाज जी और राव अफाक जी और किसान यूनियन के नेतागण सहित अन्य लोग पुहाना गये वहां भी स्थिति खराब है, बल्कि वहां तो सोलानी ने डेढ़-दो किलोमीटर की लंबाई में बहुत जमीन काट दी हैं, एक-डेढ़ किलोमीटर अंदर तक जमीनें काट दी हैं, लोगों की जमीनों का भी काफी नुकसान हुआ है, पानी भराव का भी है, उसके बाद सुनहरा, माधोपुर, रसूलपुर, शाहपुर, सरखड़ी, नगला, सलेमपुर और राजपूताना में भी वही स्थिति है, तो इन गांवों में सब पानी भरा हुआ है। मैंने इस संबंध में जॉइन मजिस्ट्रेट व सीडीओ से भी बात की है और माननीय विधायक गणों ने भी अपने-अपने स्तर से भी उनको सुझाव दिये हैं। ऐसा नहीं है कि 1-2 दिन के अंदर पानी नहीं निकाला जा सकता है! मुझे उम्मीद है कि ये लोग कुछ कदम उठाएंगे तो पानी निकलेगा और किसान नए सिरे से अपनी खेती की प्लानिंग करने में लग जाएगा और यह स्थिति लगभग सारे जिले के अंदर है, इसको लेकर मैंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जी से बातचीत की है, जिला कांग्रेस के अध्यक्ष गणों से भी बातचीत हुई है, हम लोग जो किसानों के सवाल हैं उन सवालों पर एक बड़ा धरना भी रुड़की या कहां आयोजित करेंगे, यह प्रदेश कांग्रेस कमेटी तय करेगी, मैं समझता हूं अगले तीन-चार दिन में यह धरना आयोजित होगा।
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