उत्तराखंड में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के लिए परीक्षा की एक और घड़ी आने वाली है। ये परीक्षा हरिद्वार की मंगलौर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की है। बीएसपी विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन की वजह से ये सीट खाली हुई है और 6 महीने के भीतर यहां उपचुनाव होना है।
उत्तराखंड में पांचवीं विधानसभा का ये दूसरा उपचुनाव होगा। इससे पहले बागेश्वर में कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास के निधन की वजह से खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुआ था। बागेश्वर में बीजेपी ने जीत हासिल कर ली थी हालांकि अंतर बहुत ज्यादा नहीं था। अब मंगलौर में उपचुनाव होगा तो बीजेपी क्या करेगी, कैसे जीतेगी इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं।
मंगलौर सीट का सियासी इतिहास
मंगलौर विधानसभा सीट बीजेपी कभी नहीं जीत पाई है। इस सीट पर 4 बार बीएसपी का विधायक रहा है जबकि 1 बार कांग्रेस को कामयाबी मिली है। 2002 और 2007 के चुनाव में काजी निजामुद्दीन ने बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। 2012 में काजी निजामुद्दीन ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए और बीएसपी उम्मीदवार सरवत करीम अंसारी पहली बार विधायक बने।
2017 में फिर से काजी निजामुद्दीन और सरवत करीम अंसारी के बीजेपी मुकाबला हुआ इस बार जीत कांग्रेस उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन की हुई। जबकि 2022 में एक बार फिर सरवत करीम अंसारी ने बाजी मारी और कांग्रेस उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन को हार का सामना करना पड़ा। कुल मिलाकर पांचों विधानसभा चुनावों में सीधा मुकाबला कांग्रेस और बीएसपी के बीच ही रहा है। अब उपचुनाव में आंकड़े कितने बदलेंगे इसे लेकर दिलचस्पी बढ़ने लगी है। क्योंकि बीजेपी का डबल इंजन मंगलौर में अब तक जीत नहीं पाया है।
2022 चुनाव के नतीजे
2022 विधायक चुनाव में कांग्रेस और बीएसपी में कांटे की टक्कर हुई थी। बीएसपी उम्मीदवार सरवत करीम अंसारी को 32660 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन को 32062 वोट मिले थे। यानी कांग्रेस उम्मीदवार सिर्फ 598 वोट से हारे थे। वहीं बीजेपी उम्मीदवार दिनेश पवार को 18612 वोट ही मिल पाए थे। ऐसे में उपचुनाव कौन जीतेगा इस पर सबकी निगाहें रहेंगी।
बीजेपी के लिए मंगलौर बहुत बड़ी चुनौती है तो कांग्रेस के सामने भी 2022 की गलती दूर करने की चुनौती होगी जबकि बीएसपी के सामने अपनी सीट बरकरार रखने की चुनौती होगी। अब सवाल यही है कि चुनौती में पास कौन होगा?
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