उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने उपनल कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन किया है। यशपाल आर्य ने कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन, नियमितीकरण की मांग को लेकर उपनल कर्मी पिछले कई दिनों से धरने पर डटे हुए हैं। उपनल कर्मचारी लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। ये मामला 2018 से लंबित है, जब नैनीताल हाईकोर्ट ने कुंदन सिंह मामले में फैसला सुनाते हुए सरकार को निर्देश दिया था कि सभी प्रायोजित उपनल कर्मियों को फेज वाइज नियमित किया जाए। नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर पूर्व आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसे अक्टूबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद भी नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई।
उत्तराखंड में वर्तमान में 22,000 उपनल कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से लगभग 8,000 कर्मचारी 10 साल से ज्यादा समय से सेवा दे रहे हैं, जिन्हें नियमितीकरण के दायरे में शामिल किया जा सकता है। ये कर्मचारी कई सरकारी विभागों, अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों और तकनीकी सेवाओं में कार्यरत हैं। लगातार देरी और अनिश्चितता से उपनल कर्मियों में भारी निराशा है। यशपाल आर्य ने कहा कि
सरकार ने प्रदेश में छह माह के लिए एस्मा लागू कर कर्मचारियों के आंदोलन पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक तरफ सरकार नियमितीकरण की तरफ कमेटी का गठन करती है और दूसरी तरफ उपनल कर्मचारियों के साथ तानाशाही का रवैया अपना रही है । सरकार अपनी नीतिगत असफलताओं और अक्षमता और उपनल कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशीलता को छिपाने में लगी है।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी कहा है कि—
“Equal Pay for Equal Work” हर कर्मचारी का मौलिक हक़ है। संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 39(d) इस अधिकार की गारंटी देते हैं। फिर भी उपनल, संविदा और अस्थायी कर्मचारियों को आज भी स्थायी कर्मचारियों से कम वेतन देना सीधा-सीधा अन्याय है। कांग्रेस की माँग है की उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय से मुकदमा जीत चुके उपनल कर्मियों का दमन करने के बजाय उत्तराखंड सरकार को न्यायालय के फैसलों के अनुरूप इनके नियमितीकरण करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा सरकार उपनल कर्मचारियों पर लागू एस्मा को तुरंत वापस ले और आंदोलनरत कर्मचारियों के साथ सम्मानजनक और संवेदनशील वार्ता शुरू हो और प्राथमिकता के आधार पर उपनल कर्मचारियों की मुख्य माँग — समान काम, समान वेतन — पर तत्काल निर्णय लागू करे | सरकार को इन कार्मिकों को नियमित करते समय अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और राज्य में प्रचलित अन्य आरक्षण को भी ध्यान में रखना चाहिए कर्मचारियों के हक़, अधिकार और सम्मान की इस लड़ाई में कांग्रेस कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। “समान काम-समान वेतन और नियमितीकरण” आंदोलन की प्रतिबद्धता है और इसे किसी भी हालत में दबने नहीं दिया जाएगा।

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