पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर उत्तराखंड सरकार पर निशाना साधा है। हरीश रावत ने लिखा है त्तराखंड विधानसभा के सत्र की कार्य सूची देखकर मैं निराश हूं। केवल दो दिन विधानसभा सरकारी कामकाज के साथ-साथ जो राज्य के अंदर अनेकों घटनाक्रम हैं या जो चुभते हुए राज्य के सवाल हैं और विधायकगणों के प्रश्न हैं उन पर विचार करेंगे।
महिला उत्पीड़न राज्य के अंदर एक सबको कचोटने वाले ज्वलंत प्रश्न हैं, केवल कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के दौरान महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की चर्चा न्याय नहीं है। न्याय तब होगा जब विधानसभा महिलाओं की स्थिति पर उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा पर एक विहंगम विवेचन करे और एक दिन का सत्र इस विषय के लिए डेडिकेट करे ताकि एक गंभीर संदेश विधानसभा के माध्यम से जा सके।
विधेयकों पर भी हरदा का सवाल
विधानसभा की कार्रवाई के दौरान दो विधेयक मेरा ध्यान खींच रहे हैं। पहला उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक, बाहर से देखने में यह बहुत भोला सा विधेयक लगता है लेकिन इसका दुरुपयोग हो सकता है, विपक्ष और जन आंदोलनों को कुचलने के लिए या उनको कमजोर करने के लिए भी इस कानून का दुरुपयोग हो सकता है तो इस पर जब तक राज्य के अंदर एक स्पष्ट राय न बने तब तक बात नहीं होनी चाहिए। यदि यह उचित रहेगा कि इसको प्रवर समिति को या लोगों की राय जानने के लिए परिचालन के लिए डाल दिया जाए।
दूसरा जो जमीनों को लेकर जमींदारी विनाश और भूमि अधिनियम 1950 में संशोधन के लिए विधेयक है उसमें मेरी दिलचस्पी है। लेकिन मैंने राज्य की विधानसभा की वेबसाइट को चेक किया और संबंधित रेवेन्यू विभाग की भी उसका डिटेल नहीं मिल रहा है, जो राज्य चाह रहा है, लोग चाह रहे हैं वह प्राविधान है या नहीं है विधेयक में यह देखना महत्वपूर्ण है।
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