उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजेपी सरकार पर देवभूमि की छवि खराब करने का आरोप लगाया है। हरीश रावत का दावा है कि सरकार असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसी रणनीति अपना रही है जिससे उत्तराखंड की बदनामी हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है फिर #लव_जिहाद, #लैंड_जिहाद के खिलाफ जिहाद का उद्घोष! अतिक्रमण यदि लैंड जिहाद है तो उन अतिक्रमणों की सूची को सरकार सार्वजनिक करे। कहा जा रहा है कि उस सूची में हमारे कई-कई अराध्य स्थल भी हैं और हमारे वो लोग हैं जिनमें कुछ भूतपूर्व सैनिक भी हैं जो पेट की भूख से विचलित होकर जो भूमिहीन थे, जमीन का एक टुकड़ा मेरे पास भी हो इस चाह में तराई भाबर ही नहीं बल्कि जो मैदानी क्षेत्रों में उन स्थानों पर बसे जहां उनको भूमि खाली मिली और बड़े पैमाने पर योजनागत तरीके से हरि ग्राम, इंदिरा ग्राम, गांधी ग्राम आदि बसाये गए, कुछ गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के तहत बसाये गये, कुछ अपनी धरती छोड़ कर के आए थे उनको विस्थापन की योजना के तहत बसाया गया है, ये लोग राज्य बनने से पहले आए। राज्य के संघर्ष में हमने इनको सपना दिखाया कि आओ जुटो, इस संघर्ष के साथ खड़े हो और राज्य बनेगा तो तुम इस जमीन के टुकड़े के मालिक बनोगे। जरा खटीमा के राज्य आंदोलन के शहीदों की सूची को देखिए स्थिति साफ हो जाएगी कि राज्य निर्माण आंदोलन को जन आंदोलन बनाने में ऐसे लोगों की कितनी बड़ी भूमिका थी। हल्द्वानी, लालकुआं, कोटद्वार आदि में जो हजारों-हजार लोग सड़कों पर निकले जरा उनके किसी के पास पुराने वीडियोज हैं तो देखिए, वह चेहरे हैं जिनको लगता था राज्य बनेगा, तो जमीन के उस टुकड़े पर हमारा अधिकार होगा और आज की सत्ता उनको लैंड जिहादी बना रही है!! फिर यदि राज्य बनने के बाद कुछ ऐसे कब्जे हुए हैं, कुछ ऐसे लोग आये हैं जिससे आपको डेमोग्राफिक संतुलन बिगड़ता दिखाई देता है, तो उसके लिए राज्य का कानून है। उन्माद से वोट हासिल हो सकते हैं, मगर उन्माद से राज्य नहीं बन सकता है! इसलिये जब भी मैं जिहाद शब्द सुनता हूं तो मुझे मेरा मन कचोटता है। वैसे ही लव जिहाद, प्रलोभन, दबाव, धोखे से धर्म परिवर्तन पूरे देश में दंडनीय अपराध है, जो सत्ता है वही शिकायती बन जा रही है। सत्ता के हाथ में कानून की शक्ति है उसका उपयोग क्यों नहीं करते हैं? मगर उसको भी उन्माद फैलाने के लिए, अपनी असफलताओं को ढकने के लिए उद्घोषित किया जाएगा तो याद रखिए लव अकेले नहीं होता है, लव में दूसरा पक्ष भी होता है। हमारी धरती श्रमशील, धर्मशील, आचरणशील वीरांगनाओं की धरती है। वो, लव-लव, लव पुकारती हुई धरती नहीं है। हमारे विषय में क्या धारणाएं बनेंगी जरा उस पर भी तो मनन करिए। ऐसा लग रहा है जैसे उत्तराखंड में लव के अलावा और कुछ काम ही नहीं है! और कोई संदर्भ ही नहीं है! भाजपाई केवल लव जिहाद, लव जिहाद पुकार कर हमारी गरिमा को भी खरोच रहे हैं, देश का दर्द है।
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