उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने प्रधानमंत्री से उत्तराखंड के लिए ₹20,000 करोड़ का विशेष राहत पैकेज, भविष्य की चुनौतियों के लिए विशेषज्ञ टीमों की तैनाती, और 5 सितंबर को लिखे पत्र में रखी गई प्रमुख मांगों को दोहराया।
माहरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अलग और विशेष राहत पैकेज जारी करने की मांग करते हुए कहा कि पहले उन्होंने ₹10,000 करोड़ की सहायता का आग्रह किया था, लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए अब यह राशि अपर्याप्त है। धामी सरकार ने केन्द्र से केवल ₹5,700 करोड़ मांगे हैं, जबकि अकेले जोशीमठ के पुनर्निर्माण में लगभग ₹6,000 करोड़ की आवश्यकता है। उन्होंने पिछले वर्ष की जोशीमठ आपदा का उल्लेख करते हुए कहा कि इतनी बड़ी राशि सिर्फ एक क्षेत्र के लिए ही जरूरी है।
माहरा ने राज्य के अन्य आपदा प्रभावित इलाकों का भी जिक्र किया, जहां लोगों को अभी तक कोई राहत नहीं मिली:
कर्णप्रयाग के बहुगुणा ग्राम में 35 मकान क्षतिग्रस्त हुए, लेकिन प्रभावित परिवारों को सहायता नहीं मिली।
गोपेश्वर और नैनीताल (बलिया नाला क्षेत्र) में लगातार भूस्खलन हो रहे हैं।
खटिया, खाती गांव, भराड़ी, सौंग और धारचूला जैसे क्षेत्रों में भी आपदाएं आईं, पर अब तक आर्थिक मदद नहीं पहुंची।उन्होंने स्पष्ट कहा कि “कुल मिलाकर उत्तराखंड को कम से कम ₹20,000 करोड़ की आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए, ताकि गांवों का पुनर्निर्माण हो सके।”
माहरा ने कहा कि आकलन के लिए टीम भेजने के बजाय केन्द्र और राज्य सरकार को वैज्ञानिकों, भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीमें भेजनी चाहिए। ये टीमें आने वाले समय में संभावित आपदाओं का आकलन कर उत्तराखंड को तैयार करने की ठोस रूपरेखा प्रस्तुत कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5 सितंबर को लिखे पत्र में माहरा ने कहा कि लगातार भारी बारिश से राज्य के सभी पर्वतीय जिलों में जानमाल की बड़ी क्षति हुई है। बादल फटने की घटनाओं ने कई जगह जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और पौड़ी जिलों में हालात बेहद गंभीर हैं।
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न्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग ने IIRS (Indian Institute of Remote Sensing) की चेतावनियों को नजरअंदाज किया, जिससे यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन तंत्र प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाया। भारी बारिश और आपदाओं में मारे गए, लापता और घायल लोगों की सही संख्या अभी तक सामने नहीं आई है।
मुख्य मांगें
करन माहरा ने पत्र में प्रमुख मांगें रखीं, जिन्हें उन्होंने दोहराया:
1. उत्तराखंड की मौजूदा आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
2. केन्द्र सरकार शीघ्र उत्तराखंड को ₹20,000 करोड़ का राहत पैकेज दे।
3. प्रत्येक आपदा पीड़ित परिवार को केन्द्र और राज्य सरकार से ₹10-10 लाख की तात्कालिक सहायता दी जाए।
4. क्षतिग्रस्त मकानों और भवनों का आंकलन कर उचित मुआवजा दिया जाए।
5. प्रभावित लोगों का विस्थापन टिहरी बांध विस्थापितों की तरह सुरक्षित स्थानों पर एकमुश्त किया जाए।
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि केन्द्र सरकार को उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों की जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन बिंदुओं पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए। करन माहरा ने केन्द्र और राज्य सरकार से आग्रह किया कि इन मांगों को प्राथमिकता दी जाए, ताकि आपदा पीड़ितों को वास्तविक राहत मिल सके और राज्य भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो सके। पीएम मोदी 11 सितंबर को उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने वाले हैं उससे पहले कांग्रेस की ओर से की गई मांग बेहद अहम है।
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