राजधानी देहरादून की चरमराती यातायात व्यवस्था, रोज़ाना लगने वाले जाम के प्रभावी समाधान के संबंध में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने SSP देहरादून को ज्ञापन सौंपते हुए समस्या के समाधान की अपील की है। SSP देहरादून को सौंपे ज्ञापन में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि राजधानी देहरादून उत्तराखंड का प्रशासनिक, राजनीतिक एवं आर्थिक केंद्र है। परंतु विडंबना ये है कि इसी राजधानी की यातायात व्यवस्था पिछले कई वर्षों से बदहाल, असंगठित और अक्षम प्रबंधन का शिकार है। रोज़ाना लगने वाला जाम केवल असुविधा ही नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की नीतिगत कमज़ोरियों एवं अमल में अक्षमता का प्रत्यक्ष प्रमाण बन चुका है। आम जनता, छात्र, कर्मचारी, व्यापारी, मरीज, पर्यटक, सभी घंटों तक जाम में फंसकर मानसिक, आर्थिक और शारीरिक कष्ट झेलने को मजबूर हैं। ये स्थिति राजधानी के लिए शर्मनाक और शासन-प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए, लेकिन अफसोस कि कोई ठोस कदम अब तक नज़र नहीं आता।

प्रतिनिधिमंडल ने ये भी कहा कि हर सुबह और शाम शहर की मुख्य सड़कें घंटाघर, सर्वे चौक, अग्रवाल चौक, आइएसबीटी, बल्लूपुर, कांवली रोड, हरिद्वार रोड, रायपुर रोड, प्रेमनगर क्षेत्र एक खुली पार्किंग में बदल जाती हैं। 5-10 मिनट की दूरी को पार करने में आधा से एक घंटा लगना अब सामान्य हो गया है। यह स्थिति राजधानी की सड़क क्षमता, ट्रैफिक नियंत्रण, अनियंत्रित यातायात प्रबंधन और पुलिस की ज़मीनी उपस्थिति की पूरी तरह असफलता दर्शाती है। इसकी प्रमुख वजह में अनियंत्रित और अव्यवस्थित ऑटो-ई-रिक्शा व सिटी बसों का संचालन, जहां चाहे वहीं रुकना,
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने ये भी अवगत कराया कि ओवरलोडिंग, सड़कों पर रेस लगाना, बिना निर्धारित स्टॉप के यात्रियों को उतारना-चढ़ाना, जहां तहां बेतरतीब पार्किंग का बोलबाला व्यापारिक क्षेत्रों, अस्पतालों, बाजारों और यहां तक कि मुख्य मार्गों पर अवैध पार्किंग ने सड़कों को संकरा कर दिया है। कई स्थानों पर सड़क पर डिवाइडर, यू-टर्न, कट, क्रॉसिंग नहीं हैं। ट्रैफिक पुलिस की कमी और सड़क पर प्रभावी उपस्थिति का अभाव साफ नजर आता है। तमाम जगह ट्रैफिक सिग्नल खराब पड़े हैं। ट्रैफिक संभालने के लिए कागजी योजनाएँ बहुत हैं, पर अमल कहीं नहीं।अतिक्रमण और सड़क किनारे फुटपाथ खत्म पर कब्जे होना भी ट्रैफिक जाम का एक प्रमुख कारण है। अतिक्रमण पर कार्रवाई केवल “औपचारिक” होती है। अब भी देहरादून शहर में लंबी अवधि की ट्रैफिक योजना का अभाव साफ नजर आता है। स्मार्ट सिटी के नाम पर केवल बोर्ड और विज्ञापन, ज़मीनी बदलाव नहीं है। राजधानी में ऐसी व्यवस्थागत खामी पूरे प्रशासनिक तंत्र को सवालों के घेरे में खड़ा करता है।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के सुझाव
ट्रैफिक को सही करने के लिए कांग्रेस ने कई अहम सुझाव भी दिए हैं। इसके तहत अवैध पार्किंग पर कड़ी कार्रवाई की जाय। सड़क किनारे नो पार्किंग में खड़े वाहनों को हटाने व चालान की कार्रवाई की जाय। मुख्य चौराहों पर 24×7 पुलिस की तैनाती और स्मार्ट कैमरा आधारित ट्रैफिक निगरानी दुरूस्त की जाय। जहां-जहां भीड़ ज्यादा है वहां नो-स्टॉप जोन और निर्धारित पिक-अप/ड्रॉप पॉइंट निर्धारित किये जायं। सिटी बस, विक्रम, ई-रिक्शा के लिए जीपीएस आधारित रूट नियंत्रण हो। गिग इकोनॉमी के तहत ओला, ऊबर, रैपिडो, स्विगी, जोमैटो के संचालकों का वैरीफिकेशन सुनिश्चित किया जाय। आईएसबीटी के पास बसें बस अड्डे के स्थान पर सडक पर खडी रहती हैं जिससे आईएसबीटी पर जाम की स्थिति बनी रहती है। अतः सभी बसों का ठहराव बस अड्डे के अन्दर से सुनिश्चित किया जाय। खराब ट्रैफिक सिग्नलों की तुरंत मरम्मत/नए सिग्नल लगाना। पार्किंग हब/मल्टी-लेवल पार्किंग का तेजी से निर्माण और संचालन किया जाय। फुटपाथ पुनर्निर्माण, अतिक्रमण की स्थायी हटाई जाय। प्रमुख सड़कों का वैज्ञानिक तरीके से चौड़ीकरण और री-डिज़ाइन किया जाय। एक सेंट्रल कमांड ट्रैफिक कंट्रोल रूम का प्रभावी संचालन। काली फिल्म लगी गाडियों पर सख्ती से कार्रवाई की जाय तथा काली फिल्म हटाकर चालान किए जाएं। दीर्घकालिक समाधान हेतु देहरादून के लिए एक इंटीग्रेटेड अर्बन ट्रांसपोर्ट सिस्टम की शुरुआत। शहर की क्षमता और जनसंख्या के अनुसार नई परिधीय सड़कें (बाईपास, रिंग रोड)। राजधानी की ट्रैफिक योजना को समयबद्ध और कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाए।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने ये भी कहा कि इसके अलावा वाहनों में अतिरिक्त रूप से लगाई जा रही अत्यधिक हाई बीम लाइट पर कार्रवाई की जाए। वाहनों पर लगे टप्च् के स्टीकर और नेम प्लेट हटाए जाएं। शराब की दुकानों के बाहर लगने वाले जाम को कम करने के लिए वहां शराब विक्रेताओं की ओर से गार्ड और पुलिस की भी व्यवस्था की जाए।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व बीडीसी सदस्य यशवन्त चौधरी, लक्ष्मी चौधरी का मुकदमा दर्ज करवाये जाने का भी पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व विधायक राजकुमार, पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, विरेन्द्र पोखरियाल, संजय थापा, आदित्य पंडित, सुनील बांगा, मनोज वालियान, पूर्व बीडीसी सदस्य यशवन्त चौधरी, लक्ष्मी चौधरी आदि शामिल थे।

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