31 August 2025

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धामी सरकार के 2 साल, कितने सवाल?

धामी सरकार के 2 साल, कितने सवाल?

पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बने हुए 2 साल पूरे हो गए हैं। खटीमा विधानसभा से चुनाव हारने के बाद भी 2022 में बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखा, जिससे बीजेपी के कुछ नेता अंदर खाने नाराज भी हुए, हालांकि हाईकमान की पावर की वजह से कोई नेता कुछ बोलने की हिम्मत नहीं दिखा पाया, इस बीच गाहे बगाहे त्रिवेंद्र रावत ने जरूर कुछ बातें कहीं पर आलाकमान ने उन्हें भी चुप रहने की नसीहत दे दी। ऐसे में सरकार अपनी और सीएम धामी की तारीफ खुद ही कर रही है। धामी की उपलब्धियां भी गिनाई जा रही हैं मगर कांग्रेस ने सरकार और धामी के दावों पर सवाल उठाए हैं। धामी सरकार के 2 साल पूरे होने पर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार के कार्यकाल पर चार्जशीट जारी की है । गरिमा मेहरा दसोनी ने कहा कि धामी सरकार कब अपने हल्के पन से बाहर आएगी सोशल मीडिया पर अपने फॉलोअर्स दिखा कर उसे ही सफल सरकार या सफल मुख्यमंत्री का मापदंड समझ रही है और मुख्यमंत्री को सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने की नाकाम कोशिश कर रही है,जबकि प्रदेश की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है ।

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धामी सरकार पर हमलावर होते हुए दसोनी ने कहा की धामी राज में प्रदेश उन सब बातों का साक्षी बना जो प्रदेश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुई थी।

अंकिता भंडारी हत्याकांड जैसा जघन्य अपराध की बात करें या फिर सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में हुए घोटाले और अपने अधिकार के लिए सड़कों पर उतरे हुए मासूम और हताश युवाओं पर लाठीचार्ज 23 साल के उत्तराखंड में पहली बार हुआ।

भाजपा के पदाधिकारियों की प्रदेश में हो रहे हर दूसरे भ्रष्टाचार में संलिप्तता हो या प्रदेश में महंगाई का विकराल स्वरूप, प्रदेश पर हावी होता हुआ खनन माफिया हो या सूबे की सरकारी जमीनों का खुर्द बुध किया जाना धामी सरकार पूरी तरह से भू-माफिया खनन माफिया और शराब माफिया पर नकेल कसने में नाकाम रही है। जोशीमठ भू धंसाव जैसी बड़ी त्रासदी सरकार की असफलता का ही परिणाम है।

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सैन्य बाहुल्य राज्य में नौजवानों को अग्निवीर योजना में झोंकना शोषण नहीं तो और क्या है अग्निवीर योजना के खिलाफ केंद्र के सामने धामी जी का एक बार भी मुंह नहीं खुला।

प्रदेश में बढ़ते महिला अपराध धामी जी की टोपी में कलगी की तरह है, अनुसूचित जातियों जनजातियों के प्रति धामी राज में बढ़ते अपराध और उत्पीड़न की घटनाएं पर तो धामी सरकार की चुप्पी ने जख्मों को और हरा कर दिया।

धामी राज में प्रदेश में लघु और मध्यम उद्योग बड़ी तादाद में बंद हुए, पलायन पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया, स्वास्थ सेवाओं में लगातार गिरावट रही, सामाजिक सुरक्षा पेंशन तथा नंदा- गौरी देवी कन्या धन योजना की राशि में भारी कटौती की गई।

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अल्पसंख्यक समाज में कभी लव जिहाद तो कभी लैंड जेहाद की डुगडुगी पीट कर भय का माहौल उत्पन्न किया गया ।

दसोनी ने कहा कि भाजपा सरकार में नगर विकास नियोजन और विस्थापन की ठोस नीति बनाने में धामी सरकार पूरी तरह असफल रही।

प्रदेश के किसान को न उचित समर्थन मूल्य मिला और साथ ही वन्यजीवों से हो रहे जानमाल के नुकसान की भरपाई के लिए भी सरकार की तरफ से कोई नीति नहीं बनाई गई।

प्रदेश में नशे का कारोबार धामी जी की नाक के नीचे खूब पल्लवित पुष्पित होता रहा है पर सरकार धृतराष्ट्र बनी हुई है ।मातृशक्ति को मान सम्मान तो दूर धामीराज में महिलाओं का बढ़-चढ़कर अपमान जरूर हुआ। उनकी रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया गया ।दसोनी ने कहा कि पुष्कर सिंह धामी जी को अपनी सोशल मीडिया की लोकप्रियता से बाहर निकल कर जमीनी हकीकत से रूबरू होना चाहिए।