दिल्ली के रोहिणी में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी अकादमी की ओर से आयोजित उत्तराखंड देवभूमि संगठन ने आज सेक्टर 3 में एक भव्य उत्तरायणी कार्यक्रम का आयोजन जोश और उत्साह के साथ किया गया। उत्तरायणी उत्सव हर वर्ष उत्तराखंडियों सहित विभिन्न समुदायों द्वारा विभिन्न स्वरूपों और नामों में आयोजित किया जाता है। इसे मकर सक्रांति भी कहा जाता है. यह त्यौहार प्राचीन काल से हर साल लोहड़ी के एक दिन बाद 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से सांप्रदायिक सद्भाव, सौहार्द, भाईचारे को दर्शाता है और सभी के लिए समृद्धि की कामना करता है। पूरे भारत में पहली बार गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी अकादमी के गठन के बाद पिछले पांच वर्षों से दिल्ली में, यहां तक कि उत्तराखंड में भी नहीं, जहां 9 नवंबर 2000 को अलग राज्य का दर्जा प्राप्त करने के बाद से कांग्रेस और भाजपा शासन कर रहे हैं, अकादमी विभिन्न वित्तपोषण कर रही है दिल्ली में उत्तराखंड के पंजीकृत गैर सरकारी संगठन हर साल दिल्ली के विभिन्न इलाकों में उत्तरायिनी का आयोजन करते हैं, जिससे आयोजक इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर सकें। इस साल बजट घटाकर 25000 रुपये कर दिया गया है जो पहले 25000 रुपये था. एकल सामाजिक संगठन के लिए 1 लाख रु. आज उत्तराणी कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। खेम सिंह बिष्ट, सुनील नेगी, पत्रकार, डॉ. माया राम उनियाल, बिंजोला, दिनेश चेमवाल, लोहानी और नारायण दत्त लखेड़ा। रोगिणी के एसीपी और पार्षद धर्म वीर शर्मा को गुलदस्ता, भगवान राम की मूर्ति और शॉल देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कई बच्चों और कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। इस अवसर पर दिल्ली में उत्तराखंड के लेखकों और साहित्यकारों पूरन चंद कांडपाल, रमेश घिल्डियाल और उत्तराखंड पत्रकार मंच के अध्यक्ष ने भी अपने विचार रखे और उन्हें सम्मानित किया गया। उत्तरायणी का आयोजन हर साल तब किया जाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हुए पूर्वी दिशा (उत्तरायण) पर चमकता है।
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