उत्तराखंड बीजेपी प्रभारी दुष्यंत गौतम, सीएम पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के बीच सीएम आवास पर अहम बैठक हुई। इस दौरान उत्तराखंड बीजेपी के संगठन महामंत्री अजेय कुमार भी मौजूद रहे। बैठक में संगठन और सरकार के काम काज पर विस्तार से चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक दायित्व बंटवारे और कैबिनेट विस्तार को लेकर भी प्रभारी के साथ बातचीत हुई। हालांकि मौजूदा वक्त में दायित्व बांटने और कैबिनेट विस्तार किए जाने को लेकर इसलिए भी सस्पेंस है क्योंकि राज्य के कुछ हिस्सों में आपदा जैसे हालात हैं ऐसे में शायद ही सरकार और संगठन कोई रिस्क लेंगे। यानि जिन मंत्रियों की छुट्टी होने की अटकलें हैं उनकी कुर्सी कुछ वक्त तक तो बच ही सकती है। इसके अलावा जो विधायक मंत्री बनने का सपना देख रहे हैं उनका इंतजार भी कुछ लंबा होने के पूरे आसार हैं। अब सरकार कब तक आधी अधूरी कैबिनेट के साथ चलती रहेगी इसे लेकर भी कभी कुछ नहीं कहा जा सकता। इतना जरूर है कि संतुलन बनाए रखने में धामी को कैबिनेट की खाली कुर्सियों से जरूर मदद मिल रही है। दूसरी ओर दायित्व पाने की हसरत पाले बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी फिलहाल खाली ही बैठना पड़ेगा। बैठक के बाद महेंद्र भट्ट ने कहा मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित बैठक में दैवीय आपदा की वर्तमान स्थिति पर चर्चा हुई तथा आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बचाव एवम राहत कार्यों में सरकार एवम संगठन की भूमिका तैयार की। प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक बैठक में आपदा प्रबंधन पर भी चर्चा की गई लेकिन धामी ने इसका जिक्र नहीं किया धामी ने बैठक के बाद अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा आज शासकीय आवास पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम का स्वागत कर उनसे सरकार व संगठन से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की। सरकार के मुखिया के बयान में आपदा प्रबंधन का जिक्र नहीं है जबकि महेंद्र भट्ट के मुताबिक आपदा प्रबंधन ही बैठक का मुख्य एजेंडा रहा। अब सवाल यही है कि एक ही बैठक पर दो नेताओं के अलग अलग बयान क्यों हैं? आखिर संगठन और सरकार में तालमेल की कमी क्यों लग रही है? क्या सबकुछ ठीक है या कुछ ऐसे मसले हैं जिनपर मनभेद और मतभेद की नौबत आ गई है। हालांकि संगठन हर बार सरकार के साथ तालमेल बनाकर चलने की बात करता रहा है लेकिन जिस तरह दायित्व बांटने में देरी हुई है और अब लोकसभा चुनाव भी नजदीक आ रहे हैं तो उससे पहले सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के एक ही बैठक पर अलग अलग बयान कुछ अलग संदेश दे रहे हैं। वैसे ये भी सच है कि उत्तराखंड बीजेपी की मौजूदा लीडरशिप में दिल्ली दरबार की मर्जी के बिना पत्ता तक हिलाने की हिम्मत नहीं है फिर चाहे वो संगठन हो या सरकार। ऐसे में साफ है कि जब तक दिल्ली से हरी झंडी नहीं मिलेगी तब तब ना तो कैबिनेट विस्तार होगा नहीं दायित्व बंटेंगे। कुल मिलाकर रिमोट कंट्रोल से ही सब चल रहा है ऐसे में बैठक में क्या हुआ और किसने क्या कहा इसे शायद ही कोई गंभीरता से लेगा।
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