22 December 2024

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उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों का बुरा हाल, हाईकोर्ट ने धामी सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों का बुरा हाल, हाईकोर्ट ने धामी सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की बेहाली को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने धामी सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं 2022 में लोहाघाट से पार्टी के प्रत्याशी राजेश बिष्ट ने उत्तराखंड में गरीब छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले इस उदेश्य से  नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. शर्मा के माध्यम से दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए जबाब मांग गया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, शिशिक्षमित्र निदेशक, डीएम चंपावत समेत शिक्षा विभाग के दूसरे अफसरों से 6 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।

सरकार के खोखले दावे

उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की हालत लगातार खराब हो रही है। राजेश बिष्ट पिछले 4 वर्षों से जिला चंपावत में शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने तथा बच्चों को बेहतर शिक्षा का लाभ दिलाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र के अभिभावकों के साथ मिलकर शिक्षा विभाग से लगातार पत्राचार कर व्यवस्था में सुधार की गुहार लगाई, लेकिन विभाग द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई। अगस्त में राजेश बिष्ट ने जिला चंपावत के कुछ स्कूलों का दौरा किया तो पता चला कि अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों के कई कई पद रिक्त हैं, कई स्कूल भवन इतने जर्जर हैं कि कभी भी कोई हादसा हो सकता है। चंपावत जिला जहां से हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी रिकार्ड मतों से विधानसभा का चुनाव जीते उसी जिले में कुछ माह पूर्व एक जर्जर स्कूल के भवन के गिरने से एक बालक की मृत्यु हो गई थी तथा कुछ बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे, इसके बावजूद इस घटना से भी प्रदेश सरकार ने सबक नही लिया। इसी चंपावत जिले में कुछ माह पूर्व 8वीं तक के बच्चों को दी जाने वाली सरकारी पुस्तकें बड़ी संख्या में नाली में पड़ी मिली थी। अधिकांश स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था सुचारु नहीं है, शौचालय इतने गंदे हैं कि उनका उपयोग करना बीमारी को न्योता देना है। बिजली न होने के कारण कुछ स्कूलों में कंप्युटर धूल फांक रहे हैं, छात्रों को इंटरनेट की सुविधा नहीं मिल पा रही है, जो कि आज के जमाने अत्यंत आवश्यक है। खेल के मैदान नहीं होने के कारण बछे खेलकूद की गतिविधियों से वंचित हैं। अगस्त माह तक बच्चो को यूनिफॉर्म ना मिलना। विज्ञान,संस्कृत,गणित,अंग्रेज जैसे महत्वपूर्ण विषयो के शिक्षक होना प्रदेश सरकार की खोखली शिक्षा प्रणाली की पोल खोलता है। सरकार शिक्षा व्यवस्था में जरूरी सुधार करने के बजाय सरकारी स्कूलों को बंद करने में ज्यादा रुचि दिखा रही है। पिछली त्रिवेंद्र सरकार ने 3000 स्कूल बंद किए और अब धामी सरकार ने भी बंद करने वाले स्कूलों की एक लंबी सूची तैयार कर दी है। कुल मिलाकर उत्तराखंड की धामी सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए तैयार नहीं है, यही कारण है कि हमको न्यायालय की शरण में जाना पडा है। चंपावत जिले का ये हाल तब है जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद चंपावत से विधायक हैं।

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अदालत से न्याय की उम्मीद

लगभग 260 पेज की इस जनहित याचिका में स्कूलों के भ्रमण के दौरान लिए गए वह फोटोग्राफ भी शामिल हैं जो स्कूल भवनों की हालत, पेयजल व्यवस्था, गंदे शौचालयों जैसी अनेक अव्यवस्थाओं की हालत को दर्शा रहे हैं। जनहित याचिका में राजेश बिष्ट ने अपने वकील के के शर्मा के माध्यम से माननीय न्यायालय से आग्रह किया है कि चंपावत सहित राज्य के सभी विद्यालयों में शिक्षको के सभी रिक्त पदों पर शीघ्र तैनाती करवाने, जर्जर स्कूल भवनों के स्थान पर नए भवन बनवाने ताकि किसी भी छात्र व शिक्षक के साथ कोई अनहोनी ना हो, शौचालयों की सफाई के लिए सफाई कर्मचारी तैनात करवाने,। सभी स्कूलों में इंटरनेट, बिजली व पानी की सुविधा उपलब्ध करवाने, सभी विद्यालयों में पूर्णकालिक प्रधानाचार्य की नियुक्ति करने, स्कूल स्टाफ की समय से उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक मशीन लगाए जाने हेतु उत्तराखंड सरकार को आदेशित किया जाए। हमको माननीय न्यायालय से इस महत्वपूर्ण विषय पर समुचित न्याय मिलेगा इस की पूरी उम्मीद है।