कांग्रेस, वरिष्ठ आंदोलनकारी और पूर्व दर्जा राज्य मंत्री डॉ. गणेश उपाध्याय ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में कहा है कि राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों की लंबे इंतजार के बाद भी नौकरी में आरक्षण की मुराद पूरी नहीं हो पाई है। एनडी तिवारी सरकार ने वर्ष 2004 में राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश जारी किया था लेकिन धामी सरकार द्वारा राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ अभी तक नहीं दिया गया है। इसके लिए इसी साल फरवरी में धामी सरकार ने प्रवर समिति की सिफारिशों को मानते हुए विधेयक कुछ संशोधनों के साथ राजभवन तो भेजा पर सरकार की ढ़ीली पैरवी से राज्यपाल द्वारा विधेयक पास नहीं करने से यह लटका हुआ है। पिछले पांच माह से राजभवन विधेयक पर निर्णय नहीं ले पाया, जिससे राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों की लंबे इंतजार के बाद भी नौकरी में आरक्षण की मुराद पूरी नहीं हो पाई है। जबकि विधानसभा से इस साल फरवरी में यूसीसी विधेयक पास करने के साथ चिह्नित राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक 2023 संशोधन के साथ पारित किया गया था। भाजपा ने वोट बैंक की राजनीति करते हूए यूसीसी को राजभवन से मंजूरी मंगा ली। लेकिन राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में आरक्षण का विधेयक राजभवन में लंबित है।
सरकार दिखा रही झूठे सपने- उपाध्याय
राज्य आंदोलनकारियों के मुताबिक, एनडी तिवारी सरकार ने वर्ष 2004 में राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश जारी किया था। परन्तु 20 साल बाद भी राज्य आन्दोलनकारियों के परिवारों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाना राजनीति षड़यंत्र का परिचायक है। विधानसभा से पारित विधेयक को राजभवन में इतने अधिक समय तक रोके रखना असांवधानिक और अनैतिक है। राजभवन या इसे अनुमोदित करे या लौटा दे। इस बीच एक लाख से अधिक सरकारी पद भर चुके हैं। परन्तु आन्दोलनकारी परिवारों के चूल्हे ठंडे पड़े है और राजनेता रोटियां सेंक रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएम धामी अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने जा रही है, जबकि डबल इंजन की सरकार उत्तराखंड राज्य निर्माण कराने वाले राज्य आन्दोलनकारियों को 10 फीसदी आरक्षण को राज्यपाल से अनुमोदन कराने में नाकाम रही है। उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने यूसीसी कानून पास कराने की जिस प्रकार जल्दीबाजी की , जबकि यह केन्द्र सरकार का विषय था, जगजाहिर है कि यूसीसी भाजपा के लिए चुनावी स्टंट है और भाजपा सरकार को राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों के आरक्षण बिल को राजभवन से अनुमोदन कराने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
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