मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व, दूरगामी सोच एवं मार्गदर्शन के फलस्वरूप उत्तराखण्ड आपदा प्रबन्धन विभाग के अंतर्गत आपदा प्रबन्धन को सुदृढ़ किये जाने, इस हेतु आवश्यक संसाधनों में वृद्धि किए जाने, लोगों को आपदा प्रबन्धन की दृष्टि से बेहतर अवस्थापना सुविधाएं प्रदान किए जाने एवं आपदा के समय रिस्पांस टाइम को कम करने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा रुपये 1480 करोड़ को विश्व बैंक सहायतित 05 वर्षीय (2024-2029) परियोजना “उत्तराखण्ड डिजास्टर प्रिपेयर्डनेस एण्ड रजिलियेन्ट परियोजना (यू-प्रिपेयर)“ स्वीकृत की गयी है।
इस परियोजना हेतु ऋण हस्ताक्षर दिनांक 16 दिसम्बर 2024 को केन्द्र सरकार, उत्तराखण्ड सरकार एवं विश्व बैंक के मध्य किया गया। भारत सरकार की ओर से आलोक तिवारी, संयुक्त सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय, उत्तराखण्ड सरकार की ओर से विनोद कुमार सुमन, सचिव, आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास तथा विश्व बैंक की ओर से अगेस्ते तानो कोआमे, कन्ट्री डायरेक्टर (भारत), विश्व बैंक द्वारा हस्ताक्षरित किया गया। मा. मुख्यमंत्री द्वारा इस हेतु मा. प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री , वित्त मंत्रालय, भारत सरकार को धन्यवाद दिया गया है तथा उत्तराखण्ड के लोगों को इस हेतु बधाई दी गयी है।
परियोजना की अवधि 05 वर्ष की है, जिसका क्रियान्वयन वर्ष 2024 से 2029 तक किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना की प्रस्तावित लागत रु. 1480 करोड़ है जिसमें 80 प्रतिशत भारत सरकार का अंश एवं 20 प्रतिशत राज्यांश के रूप में वहन किया जाएगा।
यू-प्रिपेयर परियोजना आपदा प्रबन्धन विभाग के अन्तर्गत संचालित की जा रही है। परियोजना के प्रबन्धन हेतु परियोजना प्रबन्धन इकाई (पी.एम.यू.) का गठन किया गया है तथा परियोजना के क्रियान्यवयन हेतु लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण निर्माण विभाग, वन विभाग एवं यू.एस.डी.एम.ए. के अन्तर्गत पी.आई.यू. का गठन किया गया है। उपरोक्त परियोजना के क्रियान्वयन से उत्तराखण्ड राज्य के सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का विकास होगा, वहीं दूसरी ओर आपदा के समय प्रतिवादन के स्तर में भी सुधार आएगा।
परियोजना के अन्तर्गत राज्य में आपदा से हुए क्षतिग्रस्त ग्रामीण स्कूल एवं अस्पतालों तक आवागमन सुलभ बनाने की उद्देश्य से लगभग 45 सेतुओं का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है, इसके अतिरिक्त राज्य की मुख्य पर्वतीय क्षेत्रों की सड़कों पर निर्बाध रूप से यातायात सुलभ बनाने हेतु 08 स्थानों पर सड़क सुरक्षात्मक उपायों को भी परियोजना में सम्मिलित किया गया है, क्रियान्वयन लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा।
परियोजना के अन्तर्गत वनाग्नि को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वन विभाग को वनाग्नि शमन हेतु उपकरणों की आपूर्ति भी परियोजना के अन्तर्गत की जानी है। इसके अतिरिक्त वनाग्नि पर नियंत्रण एवं रिस्पांस टाइम को कम करने के उद्देश्य से जनसहभागिता के माध्यम से वनाग्नि नियंत्रण प्रबन्धन एवं कार्बन फाइनेंसिंग के अन्तर्गत कार्य किया जाएगा। इस घटक का क्रियान्वयन वन विभाग द्वारा किया जाएगा।
आपदा की स्थिति में जनता को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने हेतु 10 आपदा आश्रय गृहों का निर्माण, अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा विभाग के अन्तर्गत 19 अग्निशमन केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण, इसके अतिरिक्त अग्निशमन उपकरणों की आपूर्ति, राज्य की आपदा के समय प्रतिवादन क्षमता उच्चीकृत करने के उद्देश्य से राज्य आपदा प्रतिवादन बल हेतु एवं ट्रेनिंग सेन्टरों का निर्माण प्रस्तावित है। इन कार्यों का क्रियान्वयन ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा।
आपदा से सम्बन्धित पूर्व चेतावनी तंत्र एवं राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र के उच्चीकरण का कार्य भी परियोजना के अन्तर्गत प्रस्तावित किया गया है, जिसका क्रियान्वयन राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा।
इस परियोजना के क्रियान्वयन से जहां एक ओर उत्तराखण्ड के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले जनमानस को आधारभूत ढांचे में सुधार के कारण लाभ प्राप्त होगा, वहीं दूसरी ओर किसी भी आपदा की स्थिति में प्रदेश सरकार की प्रतिवादन क्षमता में भी सुधार होगा।
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