उत्तराखंड में बारिश और बाढ़ से हुई तबाही को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। आर्य ने आरोप लगाया कि सरकार की लापरवाही और सुस्ती जनता पर भारी पड़ रही है।
यशपाल आर्य ने कहा कि मानसून के पहले चरण में हुई बरबादी ने सिद्ध कर दिया है कि सरकार आपदा प्रबंधन में पूरी तरह असफल है। उन्होंने कहा कि , पहली बारिश में देहरादून सहित मैदानी जिलों का जल भराव हो या पहाड़ी जिले चमोली में बिजली के करंट की मानव जनित आपदा से 16 निरीह लोगों की मौत हर घटना में सरकार की घनघोर लापरवाही और कर्तव्यहीनता उजागर हुई है।
आपदा को लेकर सरकार की संवेदनशीलता इस बात से परखी जा सकती है कि , राज्य आपदा प्रबंधन समिति की बैठक लगभग एक साल से नहीं हुई है। राज्य स्तर में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली राज्य आपदा प्रबंधन समिति ही आपदा प्रबंधन और आपदा के समय समन्वय और नीतिगत निर्णयों के लिए जिम्मेदार होती है।
बेपरवाह नौकरशाही से बचाओ
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के कोटद्वार के मालन पुल से संबंधित वायरल वीडियो ने सिद्ध किया है कि , आपदा में भी राज्य की विधानसभा की अध्यक्ष को एक बेपरवाह नौकरशाह के सामने मदद के लिए गुहार लगानी पड़ रही है । इससे कोई भी जान सकता है कि इस राज्य में अन्य जान प्रतिनिधियों और आम लोगों की क्या हालत होगी।
सरकार के मंत्री गैरजिम्मेदार
यशपाल आर्य ने ये भी कहा कि हाल की आपदा के बाद मुख्यमंत्री को बाकायदा आदेश जारी कर जिलों के प्रभारी मंत्रियों को उन जिलों में भेजना पड़ा जंहा के वे प्रभारी मंत्री हैं। प्रभारी मंत्री भी अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में “आपदा प्रबंधन” के बजाय “आपदा पर्यटन” की औपचारिकता पूरी करके वापस राजधानी आ गए हैं।
देहरादून की भी खुली पोल
मानसून की पहली बारिश में मेट्रो शहर देहरादून की पोल पूरी तरह खुल गयी थी , सारा शहर तालाबों में बदल गया था। उन्होंने कहा कि जो सरकार घोषित स्मार्ट सिटी राजधानी देहरादून के जल भराव की समस्या का हल नही खोज पा रही है उससे बाकी राज्य में राहत की क्या आशा करें। मैदानी जिला हरिद्वार हाल की बारिश में पूरी तरह डूब गया था यही हाल उधम सिंह नगर का भी था । इन मैदानी जिलों में किसानों की फसलें तबाह हो गयी हैं।
यशपाल आर्य ने कहा कि मैदानों की तरह पर्वतीय जिलों की हालत भी चिंताजनक हैं। चमोली में करंट से 16 लोगों की मौत को नेता प्रतिपक्ष ने लापरवाही के कारण हुई मौतें बताते हुए कहा कि अगर प्रशासन सजग होता तो ये लोग बचाए जा सकते थे।
हाल के दिनों में आपदा के पूर्वानुमान , समय पर बचाव , राहत और पुनर्वास इन सभी मामलों में सरकार असफल दिखी है । उन्होंने कहा इस सरकार से इस साल की आपदा में हुए नुकसान की भरपाई करना बेकार है जब अभी तक पिछले साल पानी भरने से बरबाद हुई किसानों की फसलों का मुआवजा नही मिल पाया है। बीमा कंपनियां किसानों से फसलों का प्रीमियम तो वसूल कर रही हैं पर आपदा मेंफसलों के बरबाद होने पर क्षति पूर्वक मुआवजा नही दे रही हैं।
अभी भी संभलने की जरूरत
नेता प्रतिपक्ष ने कहा बारिश से पहाड़ी जिलों में भी बुरा हाल है जहां सेब , टमाटर आदि फसलें आपदा मके कारण बाजार न् आने पर खेतों ही में सड़ रही हैं । उन्होंने कहा कि , जगह-जगह भू-धंसाव , पानी घुसने के कारण पेयजल लाइनों ,आवासीय मकानों , मुख्य सड़कों तथा सम्पर्क मार्गों को भारी नुक़सान हुआ है। बिना अंतरविभागीय समन्वय और केंद्र की सहायता के इन सभी अवस्थापनाओँ को पुनर्स्थापित करना असंभव है। यशपाल आर्य ने कहा कि अभी भी बरसात का समय बाकी है इसलिए संभावित आपदाओं में प्रभावी प्रबंधन और समन्वय के लिए मुख्यमंत्री को जल्दी से जल्दी राज्य आपदा प्रबंधन समिति की बैठक बुलानी चाहिए और जिन जिलों में जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक नही हुई है वँहा भी संभावित आपदाओं में बेहतर समन्वय के लिए जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित करनी चाहिए।
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