अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कम्युनिकेशन विभाग ने इंदिरा भवन नई दिल्ली में आयोजित की जातीय जनगणना पर एक दिवसीय कार्यशाला। उत्तराखंड से इस कार्यशाला में प्रतिभाग करने पहुंची उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से ये जानकारी साझा की। दसौनी ने बताया नई दिल्ली स्थित एआईसीसी हैडक्वाटर में देश के कोने-कोने से राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यों के मीडिया हेड हिस्सा लेने पहुंचे थे।
इस कार्यशाला को नेता प्रतिपक्ष लोकसभा राहुल गांधी ने संबोधित किया। इसका आयोजन संचार विभाग के महासचिव जयराम रमेश , मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा द्वारा किया गया। दसौनी ने बताया कि कार्यशाला को राहुल गांधी के अलावा जय राम रमेश एवं अन्य लोगों ने भी संबोधित किया। तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने जातीय जनगणना पूर्ण करवा ली है, तेलंगाना के प्रतिनिधि ने वहां जातीय जनगणना की यात्रा और उससे जुड़े अन्य पहलूओं को उपस्थित सभी प्रवक्ताओं के साथ साझा किया। इसके अतिरिक्त कांग्रेस के अनुसूचित जाति/ जनजाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ओबीसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं झारखंड से आदिवासी समुदाय की महिला मंत्री ने संबोधित किया और इस कार्यशाला को विस्तार दिया।
इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि यह कार्यशाला केवल एक कार्यक्रम नहीं , बल्कि कांग्रेस के विचार और संघर्ष की निरंतरता है। आज जब देश जातीय न्याय की बात कर रहा है, तब कांग्रेस पार्टी का यह दायित्व बनता है कि वह इस विमर्श को दिशा दे, उसे नारे से नीति तक ले जाए, और जितनी आबादी उतनी हिस्सेदारी को केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प बनाए। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि जातिगत जनगणना का मुद्दा कोई नया नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने इसे लगातार उठाया है, हमारे घोषणापत्रों में, संसद में, सड़कों पर, और हर उस मंच पर जहाँ सामाजिक न्याय की बात होनी चाहिए । कांग्रेस ने स्वयं अप्रैल 2023 में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग दोहराई थी कि जाति जनगणना को तत्काल शुरू किया जाए। उस पत्र में साफ कहा था, जब तक हमारे पास सही आंकड़े नहीं होंगे, तब तक कोई भी सरकार यह दावा नहीं कर सकती कि वह सबको न्याय दिला रही है।
दसौनी ने कहा कि आज बड़ा सवाल ये उठता है कि OBC, दलित और आदिवासी समुदायों की देश के सत्ता-संरचनाओं में भागीदारी क्या है? क्या वे मीडिया में, नौकरशाही में, न्यायपालिका में, कॉर्पोरेट सेक्टर में, और उच्च शिक्षा संस्थानों में अपनी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व रखते हैं? अगर नहीं, तो इसका कारण क्या है? और समाधान क्या है? यही कारण है कि जाति जनगणना को हम केवल एक आँकड़ों की कवायद नहीं मानते, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र का नैतिक दायित्व है।
इस दौरान कम्युनिकेशन विभाग के चेयरपर्सन जयराम रमेश ने कहा कि हमें स्पष्ट रूप से मांग करनी है कि संविधान के अनुच्छेद 15(5) को तुरंत लागू किया जाए, जिससे OBC, दलित और आदिवासी छात्रों को निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिले। आज जब शिक्षा का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र में केंद्रित हो गया है, तब इन समुदायों को उस पहुँच से वंचित रखना एक प्रकार का शोषण है। मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस का मानना है कि शिक्षा में समान अवसर के बिना कोई भी समाज बराबरी का नहीं हो सकता।हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि 50% आरक्षण की सीमा पर अब नए आंकड़ों के आलोक में पुनर्विचार हो। जब सामाजिक वास्तविकताएं बदल चुकी हैं और आंकड़े नई तस्वीर पेश कर रहे हैं, तो हमारी नीतियों में भी उसी अनुरूप परिवर्तन होना चाहिए। आरक्षण की वर्तमान सीमा को आंकड़ों और न्याय दोनों के संतुलन से देखा जाना चाहिए, ताकि OBC, दलित और आदिवासी समुदायों को उनका वास्तविक हक मिल सके। वर्चुअल माध्यम से कार्यशाला में उपस्थित राष्ट्रीय प्रवक्ताओं से मुखातिब होते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि तेलंगाना में जो जाति सर्वेक्षण हुआ, उसने एक मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें समाज, विशेषज्ञ और सरकार सभी की भागीदारी रही। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार भी ऐसा ही जन-संवादी और पारदर्शी मॉडल अपनाए। हम इस प्रक्रिया में सहयोग करने को तैयार हैं। गरिमा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस दौरान राहुल गांधी ने सभी प्रवक्ता गणों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी हमारे पार्टी के प्रवक्ता हैं, हमारे विचारों की आवाज़ हैं। आज जब देश जाति जनगणना को लेकर जागरूक हो रहा है, तब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम तथ्यों के साथ, संवेदनशीलता के साथ, और निडर होकर इस विषय को जनता के बीच ले जाएं। उन्होंने कहा कि यह न केवल सामाजिक न्याय की लड़ाई है, बल्कि संविधान की आत्मा की रक्षा की लड़ाई है।
इस दौरान राहुल गांधी ने सभी से अपील करते हुए कहा कि इस अभियान को केवल चुनावी मुद्दा न समझें, यह हमारी वैचारिक प्रतिबद्धता है। आज का यह संवाद, इस दिशा में हमारी एकजुटता का प्रमाण है। आप सभी प्रवक्तगणों को इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए मेरी ओर से शुभकामनाएं। हम मिलकर एक ऐसा भारत बनाएं जहाँ हर नागरिक की पहचान, गरिमा और अधिकार को समान रूप से सम्मान मिले। गरिमा ने कहा कि कुल मिलाकर राष्ट्रीय नेतृत्व का प्रवक्ता गणों के साथ संवाद बहुत ही लाभप्रद ज्ञानवर्धक और भावनात्मक रहा और राष्ट्रीय मुद्दों पर ऐसी कार्यशालाएं समय-समय पर होती रहनी चाहिए।
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