मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश अनुसार सरलीकरण और पारदर्शी खनन नीति द्वारा खनन विभाग ने इस साल पहली तिमाही में ही पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ कर ₹ 270 करोड़ की रिकॉर्ड राजस्व प्राप्त की है। ये अवैध खनन के परिवहन और भंडारण पर प्रभावी रोक और खनन पट्टों के आवंटन में ऑनलाइन व्यवस्था से संभव हुआ।
उत्तराखण्ड सरकार राज्य के राजस्व में बढ़ोत्तरी को लेकर नित नये फैसले और योजनओं पर काम कर रही है। उप खनिज को लेकर भी सरकार ने ठोस उप खनिज परिहार नियामवली लागू कर राज्य में सरलीकरण से समाधान, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार रोकने के लिए खनन पट्टों का आवंटन के लिए ई निविदा, सह ई नीलामी से लेकर प्रवर्तन दलों से अवैध खनन, परिवहन और भंडारण पर प्रभावी रोक लगाने की नीति बनाई है।
साल दर साल होता रहा फायदा
इसके साथ ही राज्य के चार जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल में निविदा के माध्यम से आवंटित कम्पनी को राजस्व वसूली की जिम्मेदारी दी है। खनन विभाग को दिए गए ₹875 करोड़ के राजस्व लक्ष्य के सापेक्ष 2022-23 में ₹472.25 करोड़ तो 2023-24 में ₹645.42 करोड़ प्राप्त हुआ। इन दो वित्तीय वर्ष में विभाग ने 2023 में एक साल के भीतर ही ₹173.17 करोड़ ज्यादा राजस्व के साथ 40 फीसदी का इजाफा किया।
खनन निदेशक राजपाल लेघा ने बताया कि पिछले तीन साल के प्रथम तिमाही में 2022-23 में ₹136.18 करोड़, 2023-24 में ₹177.27 करोड़ तो चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम तिमाही में रिकॉर्ड ₹270 करोड़ का रिकॉर्ड राजस्व प्राप्त हो गया है। इससे वित्तीय वर्ष के लक्ष्य की प्राप्ति संभव है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष में और प्रभावी रूप में अवैध खनन पर कार्रवाई करते हुए पारदर्शिता के साथ सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा।
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