उत्तराखंड कांग्रेस प्रवक्ता व पूर्व दर्जा राज्य मंत्री डॉ गणेश उपाध्याय ने प्रदेश में भाजपा के 3 सालों के कार्यकाल को निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार विगत 3 साल बेमिसाल बता रही है जबकि भाजपा सरकार द्वारा छात्र-छात्राओं के साथ बड़ा छल व गुमराह किया है तथा छात्र संघों के चुनाव नहीं करा कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। स्वस्थ राजनीति की पहली सीढ़ी छात्र संघ चुनाव होता है। प्रदेश में नौजवान रोजगार के लिए सड़कों पर भटक रहा है, जबकि 63000 पद उत्तराखंड में खाली पड़े हुए हैं। उत्तराखंड के नगर निगम व नगर पालिका वार्डो में सड़क पर गड्ढे ही गढ्डे दिखाई दे रहे हैं । इस आज स्कूल में अध्यापक नहीं , अस्पताल में डॉक्टर नहीं , पुलिस में कर्मियों के हज़ारों पर रिक्त हैं, महंगाई चरम पर है। व्यापारी परेशान, किसानों की फसल का भुगतान नहीं हो पा रहा है। आज उत्तराखंड का पूरा जनमानस सरकार के घोटालेबाजो से त्रस्त आ चुका है। आज पूरे उत्तराखंड में मात्र 91 लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन पैदा होती है ,जबकि खर्चा 2 लाख यूनिट प्रति दिन आता है। हम प्रतिदिन 10 से 13 करोड़ की बिजली खरीद रहे हैं ।
ऊर्जा प्रदेश का नारा देने वाली सरकार आज प्रदेश को उजड़ा प्रदेश बनने पर तुली हैं। 21 विद्युत परियोजनाएं भारत सरकार पर स्वीकृति के लिए विगत 11 सालो से इंतजार कर रही है। डबल इंजन की सरकार फेल हो चुकी है ,केवल हवाई धुआं छोड़ रही है। यदि इन योजनाओं को स्वीकृति मिल जाती तो प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रूपया बिजली खरीदने में बचता और यह विकास कार्य में लगता। मुख्यमंत्री कहते हैं आज उत्तराखंड रजत जयंती मना रहा है, हमारा उत्तराखंड देश के अन्य राज्यों से हर क्षेत्र में अव्वल रहेगा। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस राज्य की लड़ाई लड़ी, और आज आन्दोलनकारी अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। आज निकाय चुनावो में स्टार प्रचारको में जनता का विश्वास उठ जाने के वजह से स्टार प्रचारक बाहर से बुलाए गये। अब जनता मन बन चुकी है, इस सरकार से हर तबके का आदमी परेशान है। मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में राज्य में विभागों का ढांचा तैयार कर विकास की बुनियाद रखी और 900 करोड़ की वार्षिक योजना को बढ़ाकर 5000 करोड़ तक पहुंचाया। औद्योगिक क्षेत्रों का विकास करके, बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित किए गए। कांग्रेस शासन में टिहरी बांध, मनेरी भाली, और धौली गंगा जल विद्युत परियोजनाओं को पूरा कर राज्य को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का कार्य हुआ। 25 साल पूर्ण हो चुके हैं, लेकिन अभी तक ट्रिपल इंजन भाजपा की सरकार है उसके बावजूद परिसंपत्ति का बंटवारा न होना यह साफ दर्शाता है। पहाड़ों में अभी भी 3 लाख घरों में ताले लटके बड़े हैं, पलायन बहुत बड़ा नासूर है । केवल बात ही बात करते हैं। आने वाली पीढ़ी माफ नहीं करेगी। जिस उत्तराखंड का सपना राज्य आंदोलनकारियों ने देखा था, वह आज तक पूरा नहीं हो पाया है। राज्य की मूल अवधारणा के प्रश्न हमारे सामने आज भी जस के तस खड़े हैं। उत्तराखंड में लगातार घट रही उत्पादकता और बढ़ रहे खर्च के बदौलत आज प्रदेश लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है, जिसका सरकार अभी तक स्थाई समाधान नहीं ढूंढ पाई है। हर महीने सरकार को 200 से 300 करोड़ रुपये तक का ऋण बाजार से उठाना पड़ता है। राज्य बनते समय हम बात करते थे कि, हमारी आर्थिकी का आधार पर्यटन, उद्यान और जल विद्युत परियोजनाऐं होंगी। आज हम इन तीनों ही क्षेत्रों में लक्ष्य से बहुत दूर हैं। राज्य के स्थानीय निवासियों की इन तीनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हिस्सेदारी लगातार घट रही है। वहीं भाजपा सरकार अपनी पीठ खुद ही थपथपा कर युवा, किसान, गरीब, बेरोजगारों का खुलेआम मज़ाक बना रही है। जनता आने वाले समय में भाजपा को सबक जरूर सिखायेगी।
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