लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में उलझन है। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत का दर्द एक बार फिर छलका है। हरीश रावत ने कहा है मीडिया में एक दिलचस्प बहस! अगर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लोकसभा का चुनाव लड़ते तो परिणाम कांग्रेस के पक्ष में 5-0 हो सकता था। मैं कुछ सीमा तक इस बात से सहमत हूं कि यदि वरिष्ठ नेतागण चुनाव लड़ते तो 40-50 हजार वोटों का अंतर प्रत्येक लोकसभा सीट पर पड़ता, इस बहस के बाद अपने सहयोगी सुरेन्द्र अग्रवाल जी से बात की। हम दोनों को लगा कि वर्ष 2014, 2017, 2019, 2022 और अब 2024 में हमको ऐसी सीटों का गहराई से राजनीतिक विश्लेषण करना चाहिए जहां हम लगातार 15-20 हजार से ज्यादा वोटों से हार रहे हैं और साथ ही साथ ऐसी सीटों का भी मूल्यांकन करना चाहिए, जहां हम केवल 4-5 हजार वोटों से हार रहे हैं। मीडिया के बहस की इतर भी पार्टी के लिए तथ्यों के आधार पर मतदाताओं के विधानसभा वार विश्लेषण को करना आवश्यक है। मैं उदाहरण के तौर पर रुद्रपुर की विधानसभा सीट को लूंगा, क्योंकि वहां हमारी हार का सांख्यिकी आंकड़ा कम हो ही नहीं रहा है, उम्मीदवार चाहे कोई रहा हो, कुछ इसी तरह की स्थिति कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र में भी है और अब ऋषिकेश, हरिद्वार, रानीपुर भी कुछ इसी तरीके की विधानसभा सीटें बनती जा रही हैं, जहां पार्टी के लिए गहन विश्लेषण, भविष्य की रणनीति बनाने के लिए आवश्यक है। मैं इस बात को पार्टी फोरम भी कह सकता था, क्योंकि एक बहस चल पड़ी है तो मैं चाहता हूं कि यदि कुछ और लोग भी इस आंकड़े व उन आंकड़ों के आधार पर मूल्यांकन में कुछ हमारा मार्गदर्शन कर सकें तो मैं उनका आभारी रहूंगा।
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