उत्तराखंड के अंकिता भंडारी केस में आज कोर्ट का फैसला आया और तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसे लेकर कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय का एक चरण पूरा हुआ. तीनों हत्यारोपियों को दोषी करार दिया जाना और आजीवन कारावास की सजा होना तात्कालिक राहत है. लेकिन इससे निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता क्योंकि न्याय पाने की इस लड़ाई को हत्यारे करार दिये गए रसूखदार, अगले चरण में ले जा कर अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे. इसलिए अंकिता भंडारी के न्याय के आकांक्षी तमाम लोगों को सचेत और सतर्क हो कर, इस मामले आगे होने वाली हर गतिविधि पर नज़र बनाए रखनी होगी। मैखुरी ने कहा हत्यारों को सजा होना न्याय की जीत है, लेकिन इस मामले में जिस वीआईपी का जिक्र शुरू से होता रहा, उसकाे कानून के कठघरे में न ला पाना उत्तराखंड सरकार और पुलिस की नाकामी है। मैखुरी ने आगे कहा ये सवाल मन में उठता है कि क्या सरकार और पुलिस ने खुद ही ये नाकामी अंगीकार कर ली? ये संदेह इसलिए पैदा होता है क्योंकि हत्यारे करार दिये गये पुलकित आर्य का पूरा परिवार भाजपा से संबद्ध है। ये संदेह लगातार व्यक्त किया जाता रहा है कि उक्त वीआईपी की पृष्ठभूमि भी क्या वही है ?
ये आश्चर्य की बात है कि जब पूरा उत्तराखंड अंकिता भंडारी के लिए न्याय की मांग कर रहा था तो आज हत्यारे करार दिये गए लोगों के पक्ष में आरएसएस पृष्ठभूमि के लोग वकील के तौर पर खड़े हुए. हत्यारे भाजपाई पृष्ठभूमि के थे और वकील आरएसएस पृष्ठभूमि के, ये “बेटी बचाओ” के नारे की हकीकत काफी हद तक बयान कर देता है। जिस तरह से अंकिता भंडारी के मामले में पहले कमजोर सरकारी वकील रखा गया और अंकिता के माता- पिता के धरने पर बैठने के बाद ही सरकारी वकील बदला गया, वनंतरा रिज़ॉर्ट को जेसीबी से ढहाने के लिए जिम्मेदार बताई गयी यमकेश्वर की विधायक रेणु बिष्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, उससे उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार की पक्षधारता का भी खुलासा हो गया. पौड़ी जिले में डोभ श्रीकोट स्थित नर्सिंग कॉलेज का नाम अंकिता भंडारी के नाम पर करने की मुख्यमंत्री की घोषणा आज भी पूरी नहीं हुई है।
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